ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट: आप विधायकों की दलील- मामला पूरी तरह से राजनीतिक, जिरह की दी जाए इजाजत

नई दिल्लीः लाभ के पद मामले में चुनाव आयोग के जिरह की इजाजत न देने के चुनाव आदेश के आदेश के खिलाफ आप विधायकों की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में गुरुवार को सुनवाई हुई. विधायकों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील केवी विश्वनाथन ने कहा कि मामला पूरी तरह से राजनीतिक है और इसमें याचिकाकर्ता प्रशांत पटेल भी व्हिसल ब्लोअर नहीं हैं.लिहाजा इस मामले में प्रशांत पटेल से जिरह (क्रॉस एग्जामिनेशन) किए जाने की जरूरत है. मामले की अगली सुनवाई 9 अगस्त को होगी. दरअसल, चुनाव आयोग ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के केस में याचिकाकर्ता प्रशांत पटेल से जिरह किए जाने की आप विधायकों की अर्जी को खारिज कर दिया था.

 

आयोग के इसी फैसले को आम आदमी पार्टी के विधायकों ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. आपको बता दें कि लाभ का पद के इस मामले को अब वही हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच सुनवाई कर रही है जिस बेंच ने राष्ट्रपति के फैसले को निरस्त करते हुए दोबारा चुनाव आयोग (EC) को विधायकों की दलील सुनने का आदेश दिया था.

 

चुनाव आयोग ने बिना जिरह के सुनवाई का दिया था आदेश

मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत, चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और अशोक लवासा ने अपने 70 पन्नों के आदेश में साफ किया था कि इस मामले में याचिकाकर्ता प्रशांत पटेल से जिरह (क्रॉस एग्जामिनेशन) की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वह इस मामले की कार्यवाही का गवाह नहीं है. साथ ही प्रतिवादी अपनी अर्जी में दी गई दलील के अनुसार इस मामले में किसी गवाह को पेश किए जाने की जरूरत साबित करने में भी नाकाम रहे हैं. इस आधार पर आयोग ने याचिकाकर्ता से जिरह की इजाजत देने की गत 16 मई को दायर की गई विधायकों की अर्जी को खारिज कर दिया था. इसमें विधायकों ने पटेलके अलावा दिल्ली विधानसभा और दिल्ली सरकार के उन अधिकारियों से अलग-अलग जिरह करने की इजाजत मांगी थी, जिन्होंने विभिन्न दस्तावेजों सबूतों के आधार पर विधायकों द्वारा बतौर संसदीय सचिव सरकारी खर्च पर काम करने और वित्तीय लाभ लेने की बात कही थी.