हमारे ब्रह्माण्ड के लगभग सभी पिंड या तो तारे हैं या फिर तारों से बने हैं. इनमें एक अनोखा पिंड न्यूट्रॉन तारा (Neutron Star) है. तारों के जीवन के अंतिम पड़ाव पर जब तारे का क्रोड़ अपने ही गुरुत्व में सिमट जाता है तब न्यूट्रॉन तारे की उत्पत्ति होती है. खगोलविदों ने पहली है अब तक का ज्ञात सबसे भारी न्यूट्रॉन तारा (Heaviest Neutron Star) खोजा है.
इस तारे की खास बात यह है कि यह इतनी तेजी से घूम रहा है कि इसने अपने साथी तारे को लगभग पूरी तरह से निगल लिया है और अब तक का सबसे भारी न्यूटॉन तारा बन गया है. वैज्ञानिकों ने इस तारे को ब्लैक विडो (Black Widow) नाम दिया है.
सूर्य से भी भारी है ये तारा
नए तारे का भार सौर मंडल के ग्रह सूर्य के द्रव्यमान का लगभग ढाई गुना है. वैज्ञानिकों की मानें तो ये ग्रह सूर्य के द्रव्यमान का 2.35 गुना भार वाला है और इसके भार में लगातार वृद्धि हो रही है.
नष्ट होकर बन सकता है भारी ब्लैक होल
ऐसे में वैज्ञानिक मानते हैं कि यह बहुत ज्यादा भारी होकर अपने ही भार से नष्ट होकर एक ब्लैक होल बन सकता है. न्यूट्रॉन तारों का आकार करीब 20 किलोमीटर तक फैला होता है. स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में शोधकर्ता रोजर रोमानी ने पीएसआर जे0952-0607 नामक न्यूट्रॉन तारे की खोज को ऐतिहासिक उपलब्धि बताया है.
दरअसल, ये न्यट्रॉन तारा है जिसकी स्पेस साइंटिस्ट्स ने खोज की है. जिसकी संरचना अन्य सौर मंडल के अन्य तारों से अलग है. इस तारे के बनावट अन्य किसी तारे बिल्कुल मेल नहीं खाती. इसका एक कारण इसका बढ़ता द्रव्यमान भी हो सकता है. वैज्ञानिकों ने इसे भार में परिवर्तन को तारे के अस्तित्व के लिए खतरा बताया है.
तारे का द्रव्यमान 1.3 से 2.5 सौर द्रव्यमान के बराबर
नए खोजे गए न्यूट्रॉन तारे का वजन सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 2.35 गुना है. दरअसल, न्यूट्रान स्टार का द्रव्यमान लगभग 1.3 से 2.5 सौर द्रव्यमान का बराबर होता है. अगर ये अधिक भारी हो जाता है, तो यह ढह सकता है और एक ब्लैक होल बन सकता है.
बहुत ज्यादा संघनित तारा
नासा के मुताबिक न्यूट्रॉन तारे में पदार्थ इतना संघनित होता है कि एक शक्कर के घन के आकार के हिस्से का ही भार करीब एक अरब टन होगा जो एवरेस्ट पर्वत के जितना भारी होता है. नए तारे का भार का सूर्य से करीब 2.35 गुना ज्यादा भारी है और अगर यह और ज्यादा भारी होता है तो यह ब्लैक होल में बदल जाएगा.
क्यों दिया गया ब्लैक विडो नाम
वैज्ञानिकों ने इस तारे का नाम ब्लैक विडो रखा है. अपने ही साथी को खाने या निगलने की प्रवृत्ति मादा ब्लैक विडो मकड़ी में पाई जाती है जो अपने नर साथी से मिलाप के कुछ समय बाद ही खा जाती है. मजेदार बात ये है कि यह इस तरह का पहला खगोलीय पिंड नहीं है जिसे इस तरह का अजीब नाम दिया गया है. इस तरह के प्रवृत्ति वाले बहुत से पिंडों को यह नाम दिया जा चुका है.
धरती से 20 हजार प्रकाश वर्ष दूर
यह धरती से 20 हजार प्रकाश वर्ष दूर स्थित है और 1.41 मिली सेकेंड की रफ्तार से घूमता है. यह अब तक के अन्य न्यूट्रॉन तारों से अधिक रफ्तार है. ‘पीएसआर जे0952-0607’ दक्षिण में सेक्सटन तारामंडल में मौजूद है. 2016 में जब इसका पता लगा था, तब यह पृथ्वी से 3,200-5,700 प्रकाश वर्ष दूर सेक्सटंस नक्षत्र में स्थित था.
रफ्तार से तेज घूम रही पृथ्वी खतरे की घंटी
पृथ्वी सामान्य गति से ज्यादा तेजी से घूम रही है। वैज्ञानिकों ने बताया कि धरती 24 घंटे से 1.50 मिली सेकेंड कम में अपना चक्कर पूरा कर रही है. यह बदलाव कोर की आंतरिक व बाह्य परतों या लगातार जलवायु परिवर्तन के चलते हो रहे हैं. ऐसा जारी रहा तो एक नए नेगेटिव लीप सेकंड की जरूरत पड़ सकती है, ताकि घड़ियों की गति सूर्य के हिसाब से चलती रहे. आशंका है कि इससे स्मार्टफोन, कंप्यूटर और अन्य संचार प्रणाली में गड़बड़ी पैदा हो सकती है.