Chhath Puja 2023: 17 नवंबर से शुरू हो रहा है छठ पर्व, जानिए नहाय खाय, सूर्य पूजन व अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त

छठ पर्व (Chhath Puja), छठ या षष्‍ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला त्योहार है। यह बिहार, झारखण्ड,पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल आदि शहरों में मनाया जाता है। इसे छठ पूजा,प्रतिहार, डाला छठ, छठ और सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल छठ पर्व की शुरुआत 17 नवंबर 2023 से हो रही है। इस दिन व्रती नहाय-खाय के साथ छठ पर्व की शुरुआत करेगी। वहीं 20 नवंबर को ऊषा अर्घ्य और पारण के साथ छठ पर्व का समापन हो जाएगा।

नहाय खाय तिथि 

छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय क साथ होती है इसलिए यह दिन बहुत खास होता है। इस साल नहाय-खाय 17 नवंबर 2023 को है। इस दिन सभी व्रत करने वाली महिलाएं गंगा नदी या किसी तालाब में जाकर स्नान करती हैं। घर लौटते वक़्त गंगा नदी का पानी लाकर उससे खाना बनाती हैं। व्रत करने वाला व्यक्ति इस दिन सिर्फ एक बार ही खाना खाता है। इस दिन खाने में ख़ास तौर पर व्रती कद्दू की सब्जी, मुंग चना दाल और चावल बनाए जाते हैं। नहाय – खाय के दिन खाना कांसे या मिटटी के बर्तन में पकाया जाता है। खाना बनने के बाद सबसे पहले व्रती खाना खाती हैं उसके बाद पूरा परिवार भोजन ग्रहण करता है। इस दिन सूर्योदय 06 बजकर 45 मिनट पर होगा। वहीं सूर्यास्त शाम 05 बजकर 27 मिनट पर होगा।

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दूसरा दिन – खरना 

छठ पर्व के दूसरे दिन खरना होता है। इस साल खरना 18 नवंबर 2023 को है। इस दिन व्रती को बिना अन्न और जल के व्रत करना पड़ता है। शाम को चावल गुड़ और गन्ने के रस से खीर बनाई जाती है। खाना बनाने में नमक और चीनी का प्रयोग नहीं किया जाता। खीर का भोग लगाकर व्रती एकान्त में उस प्रसाद को खाती हैं। इस दिन ‘खीर-रोटी’ का प्रसाद रिश्तेदारों और दोस्तों को बांटा जाता है। इसके बाद अगले 36 घंटों के लिए व्रती निर्जला व्रत रखती हैं। खरना के बाद व्रती छठ पूजा के लिए विशेष प्रसाद ठेकुआ बनाती हैं। इस दिन सूर्योदय सुबह 06 बजकर 46 मिनट और सूर्यास्त शाम 05 बजकर 26 मिनट पर होगा।

तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य

छठ पर्व के तीसरे दिन को संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। इसमें पूरे दिन सभी लोग मिलकर पूजा की तैयारियां करते हैं। शाम को डूबते हुए सूर्य को जल चढ़ाया जाता है। इस दिन प्रसाद के रूप में ठेकुआ और चावल के लड्डू बनाए जाते हैं। छठ पूजा के लिए एक बांस की बनी हुई टोकरी (जिसे दउरा कहते हैं) में फल प्रसाद डालकर पूजा घाट तक ले जाते हैं। इसमें विशेष रूप से नारियल,पांच तरह के फल,धूप,दीप और पूजा का सभी सामान रखा जाता है। यह अपवित्र न हो कोई झूठे हाथ से न छुए इसलिए इसे सर पर रखकर ले जाया जाता है। इसमें व्रती सूर्यास्त होने तक नदी या तालाब में घुटने भर पानी में हाथो में नारियल लेकर खड़ी होती हैं। इस साल छठ पूजा का अर्घ्य 19 नवंबर 2023 को दिया जाएगा और सूर्यास्त शाम 05 बजकर 26 मिनट पर होगा।

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चौथा दिन – उषा अर्घ्य 

इस दिन उगते हुए सूरज को जल चढ़ाने की प्रथा है। इसमें सूर्य उगने से पहले व्रती नदी या तालाब में घुटने भर पानी में हाथो में नारियल लेकर पूरब की ओर मुख करकर खड़े होते हैं। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि जो प्रसाद शाम को चढ़ाया है, वह सुबह नहीं चढ़ता। उसके बाद सूर्योदय होने पर जल चढ़ाकर व्रत पूरा किया जाता है। ऊषा अर्घ्य इस साल 20 नवंबर 2023, सोमवार को है। इस दिन सूर्योदय सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर होगा और इसके बाद व्रती प्रसाद ग्रहण कर पारण करती है।

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क्यों की जाती है छठ पूजा

सूर्य देव की उपासना के लिए छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है। सूर्य देव की कृपा से भक्तों को मान सम्मान की प्राप्ति होती है और वह जीवन में ऊंचाइयां प्राप्त करते हैं। उनके घर में धन और धान्य की कभी भी कोई कमीं नही होती। चार दिनों के छठ पर्व में भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। सूर्यदेव की बहन और भगवान ब्रह्मा की मानसपुत्री हैं छठ मैया।

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