China Vs America: अमेरिका और चीन के बीच ताइवान को लेकर एक बार फिर तनातनी बढ़ गई है. मुद्दा अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी की मंगलवार से संभावित ताइवान यात्रा का है. इसे लेकर चीन ने अमेरिका को धमकी दी है तो यूएसए ने भी कमर कस ली है. अमेरिका ने अभी तक नैंसी पेलोसी की यात्रा का ऐलान नहीं किया है लेकिन अमेरिकी सेना ने एयरक्राफ्ट कैरियर लेकर फाइटर जेट तक ताइवान की सीमा के पास जापान और अपने नियंत्रण वाले गुआम द्वीप पर तैनात कर दिए हैं. अमेरिका में राष्ट्रपति बनने के पदक्रम में नैंसी पेलोसी राष्ट्रपति जो बाइडन और उप राष्ट्रपति कमला हैरिस के बाद तीसरे नंबर पर आती हैं.
इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक नैंसी पेलोसी सिंगापुर, मलेशिया, साउथ कोरिया और जापान के दौरे पर हैं. अब तक उनके ताइवान दौरे को लेकर कुछ साफ नहीं था. लेकिन अब व्हाइट हाउस का कहना है कि ताइवान का दौरा करना पेलोसी का अधिकार है. पेलोसी मंगलवार रात को ताइवान पहुंचेंगी. 25 साल बाद ऐसा हो रहा है, जब अमेरिकी सरकार का कोई अधिकारी ताइवान जा रहा है.
पिछले हफ्ते चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) से फोन पर बात की थी. इस फोन पर जिनपिंग ने बाइडेन से कहा था कि अमेरिका को ‘वन-चाइना प्रिंसिपल’ को मानना चाहिए. साथ ही धमकाते हुए कहा था, ‘जो लोग आग से खेलते हैं, वो खुद जल जाते हैं.’ इस पर बाइडेन ने जवाब देते हुए कहा था कि अमेरिका ने ताइवान पर अपनी नीति नहीं बदली है और वो ताइवान में शांति और स्थिरता को कम करने की एकतरफा कोशिशों का कड़ा विरोध करता है.
तो क्या अब होगा युद्द
नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे पर चीन कड़ा विरोध जता रहा है. चीन के विदेश मंत्रालय का कहना है कि अमेरिका के साथ लगातार बातचीत कर रहे हैं. हमने नैंसी पेलोसी के दौरे का विरोध जताया है. ये बहुत संवेदनशील मुद्दा है और खतरनाक साबित हो सकता है.
चीनी विदेश मंत्रालय का कहना है कि अगर अमेरिका गलत रास्ते पर खड़ा रहता है तो फिर हम अपनी संप्रभुता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाएंगे. उसने धमकाते हुए कहा कि इसके जवाब में चीन वही करेगा, जो एक आजाद मुल्क को करने का अधिकार होता है.
इससे पहले सोमवार को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने मीडिया से बात करते हुए कहा था, ‘हम एक बार फिर अमेरिका को साफ कर देना चाहते हैं, कि चीन किसी भी घटना से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी चुप नहीं बैठेगी. हम अपनी संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखने के लिए मजबूत जवाबी कदम उठाएंगे.’
क्या अमेरिका से टक्कर लेगा चीन?
चीन की इन धमकियों के बाद जंग का खतरा भी बढ़ गया है. हालांकि, जानकारों का मानना है कि चीन सिर्फ गीदड़भभकियां दे रहा है. जानकारों का कहना है कि चीन कभी भी ऐसी लड़ाई में नहीं उतरेगा, जिसमें वो जीत नहीं सकता.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिका के साथ जंग लड़ने की बजाय चीन पेलोसी पर कुछ प्रतिबंध लगा सकता है. ताइवान के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ कर सकता है. हालांकि, एक्सपर्ट्स का ये भी मानना है कि अगर भविष्य में कभी अमेरिका और ताइवान के बीच जंग होती है तो उसकी वजह ताइवान होगा. यही कारण है कि चीन ताइवान के साथ न तो अभी और न ही भविष्य में कोई जंग करेगा, क्योंकि वो सीधे अमेरिका से टक्कर मानी जाएगी.
ताइवान का क्या कहना है इस पर?
ताइवान ने अमेरिकी सदन की स्पीकर नैंसी पेलोसी के दौरे पर कुछ साफ नहीं कहा है. हालांकि, ताइवान में पेलोसी के दौरे की तैयारियां हो चुकी हैं. चीन की धमकियों के बावजूद पेलोसी के दौरे से ताइवान भी अलर्ट पर है. ताइवान ने अपने यहां सेना को अलर्ट पर रख दिया है.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, चीन के धमकियों को देखते हुए ताइवान ने शेल्टर बनाने शुरू कर दिए हैं. इसके लिए अंडरग्राउंड कार पार्किंग, सबवे सिस्टम और अंडरग्राउंड शॉपिंग सेंटर को शेल्टर होम में बदला जा रहा है. लोगों को भी ट्रेनिंग दी जा रही है. ताकि अगर हालात बिगड़ते हैं और चीन कोई हवाई हमला करता है तो लोग शेल्टर में आकर छिप सकें.
ताइवान की राजधानी ताइपे में ऐसे 4,600 से ज्यादा शेल्टर बनाए गए हैं, जहां 1.20 करोड़ से ज्यादा लोग रह सकते हैं. 18 साल की हार्मोनी वू ने न्यूज एजेंसी से कहा कि हमें नहीं पता कि जंग कब शुरू हो सकती है. ऐसी स्थिति में जान बचाने के लिए शेल्टर बहुत जरूरी है.
लेकिन चीन और ताइवान में अनबन किस बात की?
चीन और ताइवान के बीच एक अलग ही रिश्ता है. चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है, जबकि ताइवान खुद को आजाद देश मानता है. दोनों के बीच अनबन की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हुई. उस समय चीन के मेनलैंड में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और कुओमितांग के बीच जंग चल रही थी.
1940 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने कुओमितांग पार्टी को हरा दिया. हार के बाद कुओमितांग के लोग ताइवान आ गए. उसी साल चीन का नाम ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ और ताइवान का ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ पड़ा.
चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है और उसका मानना है कि एक दिन ताइवान उसका हिस्सा बन जाएगा. वहीं, ताइवान खुद को आजाद देश बताता है. उसका अपना संविधान है और वहां चुनी हुई सरकार है. ताइवान चीन के दक्षिण पूर्व तट से करीब 100 मील दूर एक आइसलैंड है. चीन और ताइवान, दोनों ही एक-दूसरे को मान्यता नहीं देते. अभी दुनिया के केवल 13 देश ही ताइवान को एक अलग संप्रभु और आजाद देश मानते हैं.
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