धारा 377 में फंसा 40 साल का मौलवी

दक्षिण गुजरात में एक मौलवी पर जबरन अप्राकृतिक संबंध बनाने का आरोप लगा है। यह आरोप और किसी ने नहीं बल्कि मौलवी की 25 वर्षीया तीसरी पत्नी ने लगाया है। आरोपी मौलवी के खिलाफ पत्नी ने धारा 377 के तहत मुकदमा दर्ज कराया है। वहीं, मौलवी के खिलाफ दहेज की मांग, प्रताड़ना और अप्राकृतिक संबंधों के आरोपों को देखते हुए कोर्ट ने उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है।

 

मौलवी के खिलाफ मांडवी पुलिस ने दर्ज की शिकायत

जानकारी के मुताबिक, सूरत के मांडवी कस्बे के निवासी 40 वर्षीय मौलवी ने एक साल पहले अपने ही पड़ोस में रहने वाली 25 वर्षीय लड़की के शादी की थी। हालांकि, लड़की के परिजन इस शादी के खिलाफ थे, क्योंकि मौलवी पहले ही दो शादियां कर चुका था।

 

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मौलवी की तीसरी पत्नी का आरोप है कि शादी के कुछ ही महीनों बाद उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा और उसके साथ अप्राकृतिक संबंध बनाने का दबाव बनाया जा रहा था। पीड़िता ने मौलवी की इस हरकत की जानकारी अपने परिजनों को दी, जिसके बाद उन्होने अप्रैल 2018 में मांडवी पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। मौलवी ने बारडोली की स्थानीय अदालत में अग्रिम जमानत अर्जी दायर की थी। लेकिन उसकी अर्जी खारिज कर दी गई थी।

 

मौलवी के वकील ने कहा- यह तलाक का मामला

ऐसे में मौलवी ने गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन जस्टिस एवाई कोगजे ने उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया आरोप सही लगता है, इसलिए आरोपी को इस मामले में कोई राहत नहीं दी जा सकती है। मौलवी के वकील ने कहा कि यह तलाक का मामला है लेकिन मौलवी की पत्नी ने अपना पक्ष मजबूत करने के लिए धारा 377 सहारा लिया है। मौलवी के वकील ने दलील दी कि अगर कोर्ट इस तरह आरोप को सच मानने लगी तो कोई भी पति सुरक्षित नहीं रह पाएगा।

 

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने वयस्कों के बीच आपसी सहमति से बने समलैंगिक संबंध को ही आइपीसी की धारा 377 के तहत अपराध से बाहर किया है। लेकिन नाबालिगों और पशुओं के अलावा जबरन अप्राकृतिक संबंध अभी भी इस धारा के तहत अपराध की श्रेणी में आते हैं।

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