आतंकियों से जुड़े हैं कुशीनगर मस्जिद में विस्फोट के तार, मास्टरमाइंड हाजी कुतुबुद्दीन गोरखपुर और अशफाक हैदराबाद से गिरफ्तार

यूपी के कुशीनगर (Kushinagar) में मस्जिद में विस्फोट (Masjid Blast) मामले में पुलिस ने मास्टरमाइंड हाजी कुतुबुद्दीन (Haji Qutubuddin) को गोरखपुर से गिरफ्तार किया है. पुलिस के अनुसार मास्टरमाइंड हाजी कुतुबुद्दीन ने ही मस्जिद में विस्फोटक रखा था. विस्फोट के बाद वो फरार हो गया था. जानकारी के अनुसार हाजी कुतुबुद्दीन ने इसी साल अप्रैल में मऊ से तीन साथियों के साथ इस विस्फोटक को लाकर कुशीनगर की मस्जिद में रखा था. हाजी कुतबुद्दीन की गिरफ्तारी के बाद सुरक्षा एजेंसियां उससे पूछताछ करने में जुट गई हैं. पूछताछ में कुतुबुद्दीन ने कई राज उगले हैं, जिससे इस घटना के तार आतंकियों से जुड़े होने के संकेत मिले हैं.


मीडिया रिपर्ट के मुताबिक मुताबिक एटीएस (ATS) ने मामले में दूसरे आरोपी अशफाक (Ashfaq) को हैदराबाद (Hyderabad) से गिरफ्तार किया है. बताया जा रहा है कि अशफाक मास्टरमाइंड हाजी कुतबुद्दीन का पोता है. अब दोनों आरोपियों को आमने-सामने बिठाकर पूछताछ करने की तैयारी हो रही है. मामले में एटीएस लखनऊ के साथ वाराणसी आईबी की टीम पहुंच गई है.


कुतुबुद्दीन ने दी थी मस्जिद को उड़ाने की धमकी

पूर्व रिटायर कर्मचारी कुतुबुद्दीन की गतिविधियां हमेशा से संदिग्ध रही हैं. कुशीनगर के फाजिलनगर के बैरागीपट्टी के रहने वाले कुतुुबुद्दीन का पूरा परिवार मउ में शिफ्ट हो चुका है. लेकिन वह गांव में अधिकतर रहता है. उसकी छवि गांव में कट्टरवादी रही है। 2011 में गांव में बन रहे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए रखी गई मूर्ति को तोड़ने के आरोप में उसके खिलाफ केस हुआ था. कुतुबुद्दीन ने करीब एक साल पहले उसने गांव स्थित प्राचीन काली मंदिर को उड़ाने तक की धमकी दे दी थी. दरअसल, मस्जिद के ठीक सामने प्राचीन काली मंदिर है. कुतुबुद्दीन उस मंदिर को हटाकर कहीं अन्यत्र बनाने का दवाब बना रहा था. उसकी आपराधिक गतिविधियों के चलते ही 2013 में उसे जिला बदर कर दिया गया था. 2014 में उसके खिलाफ बलवा, छेड़खानी, मारपीट का केस तुर्कपट्टी थाने में दर्ज हुआ था.



लड़की से दुष्कर्म कर चुका है कुतुबुद्दीन

हाजी कुतुबुद्दीन की गांव में दबंगई की चर्चा है. पुलिस की प्रारंभिक जांच में हाजी के पास कुशीनगर, मऊ व गोरखपुर में काफी संपत्ति होने की बात सामने आ रही है. गांव में वह एक आलीशान मकान भी बनवा रहा है. ऐसे में विदेशी फंडिग की भी बात उठ रही है. उसकी वजह से गांव में पूर्व में हुए विवादों से निपटने में पुलिस और प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी. विस्फोट की घटना ने फिर एक बार इस गांव का नाम चर्चा में ला दिया है. अगस्त 2014 को एक लड़की के साथ दुष्कर्म के मामले में भी स्थिति संवेदनशील हो गई थी. इसी तरह 1988 में भी उसके खिलाफ तीन लोगों की हत्या का प्रयास का केस दर्ज हो चुका है.


सेना में कार्यरत कुतुबुद्दीन के पोते को भी माना जा रहा संदिग्ध

कुतुबुद्दीन का पोता अशफाक व उसकी पत्नी सेना के स्वास्थय विभाग में कार्यरत हैं. दोनों सेना के मेडिकल कोर में कार्यरत हैं. वर्तमान में उनकी तैनाती हैदराबाद में बताई जा रही है. एजेंसियां उसे भी संदिग्ध मान रही है. वजह यह कि विस्फोट वाले दिन वह गांव में ही था. विस्फोट के बाद वह मस्जिद पहुंचा था, बिना देर किए साफ-सफाई करा दिया था. एजेंसियां इसे तथ्य छुपाने की नीयत से की गई कार्यवाही मान रही है.


पश्चिम बंगाल का रहने वाला है मौलाना

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक करीब एक दशक पूर्व मस्जिद बनकर तैयार हुई थी. पांच साल पहले गांव के ही लोनिवि में लिपिक पद पर कार्यरत वर्तमान में सेवानिवृत्त हाजी कुतुबुद्दीन ने मस्जिद में पश्चिम बंगाल निवासी मौलाना अजमुद्दीन को बुलाया था. मस्जिद के संचालकों द्वारा मौलाना को छह हजार रुपये मासिक भुगतान किया जाता है. मस्जिद में बारूद रखने का ताना-बाना हाजी कुतुबुद्​दीन व मौलाना अजमुद्​दीन ने बुना था. बारूद रखवाते समय हाजी ने युवकों से कहा था कि जल्द ही बड़ा काम होने वाला है.


दस किलो विस्फोट होने का दावा

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार मस्जिद में दस किलोग्राम विस्फोटक होने का अनुमान लगा रहीं हैं. वहीं दस किलोग्राम बारुद की तीव्रता अगर तेज होती तो काफी नुकसान भी हो सकता था. अब लैब टेस्ट से ही पता चल सकेगा कि बारुद की तीव्रता क्या रही. यह कितना नुकसान कर सकता था.



कैसे हो गया विस्फोट ?

बम निरोधक दस्ते की रिपोर्ट के अनुसार धूप व बंद कमरे में बनी गैस के कारण बारुद में विस्‍फोट हो गया. दस्ते ने इस बात पर बल दिया है कि जिस कमरे में बारूद था. वहां दिन में सूरज की सीधी रोशनी पड़ती है. दूसरी ओर वह कमरा अक्सर बंद रहता था. बंद कमरे में सूरज की रोशनी पड़ने से बनी गैस के चलते ही यह विस्फोट हुआ है. उस कमरे में दूसरी कोई ऐसी वस्तु या ज्वलनशील पदार्थ नहीं मिला, जिससे विस्फोट हो सके. एसपी विनोद कुमार मिश्र ने भी इसकी पुष्टि की है. बारूद की बोरी छत की कुंडी में लटकी हुई थी.



अप्रैल महीने में ही मस्जिद में रखी गई थी बारूद

एटीएस के साथ आइबी व अन्य सुरक्षा एजेंसियां अलग-अलग जानकारी जुटा रहीं हैं. मौलाना अजमुद्दीन उर्फ अजीम से पूछताछ में ऐजेंसियों को पता चला है कि अप्रैल महीने में ही विस्फोटक सामग्री बाहर से लाई गई थी. मस्जिद में बारूद रखने का मकसद क्या था, इसकी जांच एटीएस सहित दूसरी एजेंसियां कर रहीं हैं. मौलाना से पूछताछ में एटीएस को कई अन्य जानकारियां मिलने की भी बात सामने आ रही हैं, लेकिन इसे लेकर जिम्मेदार अफसर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. अब तक की छानबीन में पता चला है कि मस्जिद में रखे गए बारूद की मात्रा लगभग आठ से दस किलोग्राम थी. बारूद को जिस कमरे में रखा गया था, उसमें फर्श नहीं है. जांच एजेंसियां भी यह मान रहीं कि लगभग 10 किलोग्राम बारूद से काफी तबाही मच सकती थी. बारूद की क्षमता की सटीक जानकारी फोरेंसिक टीम की रिपोर्ट मिलने के बाद ही होगी. मस्जिद में बारूद रखने का ताना-बाना हाजी कुतुबुद्दीन व मौलाना अजमुद्दीन ने बुना था. बारूद रखवाते समय हाजी ने युवकों से कहा था कि जल्द ही बड़ा काम होने वाला है.


क्या है मामला

मस्जिद में नमाज पढ़ने की तैयारी कर रहे थे, उसी वक्त विस्फोट हो गया. विस्फोट इतना तेज था कि खिड़कियों के शीशे तक टूट कर जमीन पर गिर गए थे. पहले तो लोग बैट्री में विस्फोट होने की बात कहने लगे और स्थानीय थाने की पुलिस ने भी बैट्री फटने की बात कही लेकिन मामला जब अधिकारियों तक पहुंचा तो फोरेंसिक टीम ने जांच कर विस्फोटक पदार्थ होने का दावा किया. लखनऊ एटीएस और बम निरोधक दस्ते की टीम मौके पर पहुंची. जांच में पता चला कि लो ग्रेड के विस्फोटक पदार्थ से विस्फोट हुआ था जिसके बाद पुलिस ने व7 लोगों के खिलाफ केस दर्ज करके मस्जिद के मौलाना अजमुद्दीन उर्फ अजीम, इजहार अंसारी, आशिक अंसारी व जावेद अंसारी को गिरफ्तार कर लिया गया है.


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