स्टिंग में फंसे मंत्रियों के निजी सचिवों पर कार्रवाई करने से डरी लखनऊ पुलिस, FIR के 2 दिन बाद भी कार्रवाई शून्य

लखनऊ: स्टिंग मामले में फंसे मंत्रियों के निजी सचिवों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद भी पुलिस की विवेचना आगे नहीं बढ़ पाई है। जबकि सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश पर सचिवालय प्रशासन के उप सचिव की ओर से दर्ज कराई गई रिपोर्ट पर कार्रवाई करने की जगह पुलिस सुस्त बैठी है। बताया जा रहा है कि विवेचक ने पिछले दो दिनों में कोई कार्रवाई नहीं की है।

 

सीओ हजरतगंज अभय कुमार मिश्रा कर रहे विवेचना

जानकारी के मुताबिक, एक निजी टीवी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में फंसे तीन मंत्रियों के निजी सचिवों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की विवेचना सीओ हजरतगंज अभय कुमार मिश्रा कर रहे हैं।

 

बता दें कि सचिवालय प्रशासन के उपसचिव ने गुरुवार देर रात पिछड़ा वर्ग एवं दिव्यांगजन सशक्तीकरण मंत्री ओमप्रकाश राजभर के निजी सचिव ओमप्रकाश कश्यप, खनन राज्यमंत्री अर्चना पांडेय के निजी सचिव एसपी त्रिपाठी व बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह के निजी सचिव संतोष अवस्थी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा सात के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

 

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वहीं, सूत्रों ने बताया है कि विवेचक ने बीते दो दिनों के भीतर इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है। ऐसा माना जा रहा है कि पुलिस सबूत इकट्ठा करने में एसआईटी की मदद कर रही है। पुलिस के मुताबिक, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा सात में तीन से सात साल तक की सजा का प्रावधान है। हालांकि, पड़ताल के बाद आगे की स्थिति स्पष्ट होगी।

 

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दबाव की वजह से कतरा रही पुलिस

वहीं, दूसरे मामला सचिवालय के निलंबित अनुभाग अधिकारी करन सिंह का है, जिसमें फर्जी कार पास बनवाया गया। बताया जा रहा है कि इस मामले में दो महीने से ज्यादा समय गुजर चुका है, जब सचिवालय प्रशासन ने करन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इस मामले में भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। सूत्रों का कहना है कि दबाव की वजह से पुलिस करन पर हाथ डालने से कतरा रही है।

 

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जानकारी के मुताबिक, आवास विभाग के अनुभाग आठ के तत्कालीन अनुभाग अधिकारी करन ने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव के निजी सचिव के कार पास में हेराफेरी कर अपने लिए खुद ही सचिवालय का कार पास बना लिया था। 15 अक्टूबर को यह मामला उजागर हुआ था। इसके बाद रिपोर्ट दर्ज की गई थी।

 

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