नरसिंहानंद हत्या की साजिश: मंदिर में घुसने वाला विपुल निकला रमजान, इस्लाम कबूल कर कासिफ की बहन से किया था निकाह

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद (Ghaziabad) जनपद के डासना देवी मंदिर (Dasna Devi Temple) में 2 जून की रात अपनी पहचान छिपाकर प्रवेश करने वाले 2 संदिग्धों विपुल विजयवर्गीय और कासिफ को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस व खुफिया एजेंसियों को पूछताछ में पता चला कि विपुल और कासिफ जीजा-साला हैं। विपुल ने डेढ़ साल पहले कासिफ की बहन आयशा से शादी की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिमांड के दौरान दोनों ने बताया कि मंदिर में प्रवेश करने के लिए उन्हें सलीमुद्दीन (Salimuddin) ने उकसाया था। सलीमुद्दीन को ये लोग अपना ‘आका’ मानते हैं। सलीमुद्दीन विजयनगर सेक्टर-12 का निवासी है।


इस्लाम कबूल कर रमजान बन गया विपुल विजयवर्गीय


जानकारी के अनुसार, मसूरी पुलिस ने सलीमुद्दीन को 11 जून को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने विपुल और कासिफ के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है, जिसमें सलीमुद्दीन को साजिशकर्ता के तौर पर शामिल किया गया है। पूछताछ में यह भी पता चला है कि विपुल का ससुर और उसका ‘आका’ सलीमुद्दीन, जिसने उसे उर्दू व पैरामेडिकल की तालीम दी थी, दोनों एक कट्टरपंथी संगठन के पदाधिकारी रह चुके हैं। कट्टरपंथी परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद विपुल और कासिफ ने अब तक अपना एक भी दोस्त मुस्लिम नहीं बताया है।


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बताया जा रहा है कि आरोपी विपुल का गाजियाबाद के अलावा दिल्ली, महाराष्ट्र समेत कई प्रदेशों में कनेक्शन है। वह यहां के लोगों से लगातार संपर्क में रहता था। इसकी जांच भी की जा रही है क्योंकि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विपुल विजयवर्गीय इस्लाम कबूल करके अब रमजान बन चुका है और कासिफ की बहन से निकाह भी कर चुका है। गाजियाबाद से नागपुर लौटकर वो मुस्लिम धर्म का प्रचार-प्रसार कर रहा था।


गौरतलब है कि विपुल विजयवर्गीय उर्फ रमजान नागपुर का रहने वाला है। वह विजयनगर में पैरामेडिकल व उर्दू की तालीम लेने के लिए गाजियाबाद आया था। वहीं, कासिफ गाजियाबाद का ही रहने वाला है। कासिफ को पता था कि डासना देवी मंदिर में मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है। इसके बावजूद न तो कासिफ ने मंदिर जाने पर ऐतराज जताया और न ही रजिस्टर में उसका नाम गलत लिखने पर उसने अपने जीजा विपुल उर्फ रमजान का विरोध किया।


ये है पूरा मामला


बता दें कि बीते 2 जून की रात करीब 9 बजे 2 संदिग्ध युवक डासना देवी मंदिर में घुसे थे। इसके बाद दोनों ने मंदिर के प्रमुख द्वार के बाहर एंट्री रजिस्टर में अपना नाम डॉक्टर विपुल विजय वर्गीय नागपुर और काशी गुप्ता के रूप में कराई। लेकिन बाद में पता चला कि काशी गुप्ता नामक युवक कासिफ है। पुलिस को इन दोनों के बैग से सर्जिकल ब्लेड, वैक्यूम थेरेपी में इस्तेमला होने वाली मशीन, धार्मिक पुस्तकें व ग्रंथ मिले थे।


विपुल ने बताया था कि वह शास्त्रार्थ करने के लिए महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती से मिलने आया था, जबकि पुलिस व जाँच एजेसियाँ इसे सच नहीं मान रही हैं। वहीं, एटीएस को जाँच के दौरान सलीमुद्दीन के पास से लैपटॉप और कुछ किताबें बरामद हुई हैं, जिन्हें खंगाला जा रहा है। वहीं, मंहत यति नरसिंहानंद सरस्वती ने आरोप लगाया था कि दोनों आरोपी किसी जिहादी संगठन से सम्बन्ध रखते हैं और उन्हें उनकी हत्या के लिए भेजा गया था।


इससे पहले 17 मई को जान मोहम्मद डार उर्फ जहांगीर को दिल्ली पुलिस ने पहाड़गंज के एक होटल से गिरफ्तार किया था। उसके पास से भगवा कपड़े व पूजा-पाठ की सामग्री बरामद हुई थी। जम्मू कश्मीर का ये आतंकी महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती की हत्या की सुपारी लेकर आया था। उसके पास से एक पिस्टल और 2 मैग्जीन के अलावा 17 कारतूस भी बरामद की गई थी।


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