योगी की पुलिस ने पांच साल के बच्चे पर दर्ज किया हिंसा का केस, पकड़ने के लिए मारे छापे

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में यूपी पुलिस के अधिकारियों की तरफ से गंभीर चूक का मामला सामने आया है। मुजफ्फरनगर के शामली गांव में दो गुटों की बीच हुए आपसी विवाद में पांच साल के बच्चे को पुलिस ने संगीन धाराओं के तहत आरोपी बनाया है। पुलिस ने बच्चे पर आईपीसी की धारा 326 (खतरनाक हथियार से चोट पहुंचाना) का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं, बच्चे को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने उसके घर पर कई बार छापेमारी तक की है।

 

परिजनों ने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से दखल देने की अपील

 

बच्चे के अंकल प्रमोद कुमार ने कहा कि पुलिस ने पिछले दो दिनों में घर में कई बार छापेमारी की। हम पुलिस के डर से आसपास के गांवों में रिश्तेदारों के घरों में छिपकर रह रहे हैं। हमने भी महिपाल के खिलाफ जवाबी एफआईआर दर्ज करवाने के लिए पुलिस से संपर्क किया लेकिन उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने बच्चे के खिलाफ बिना कोई जांच पड़ताल किए गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर लिया। हम इस मामले में इंसाफ की मांग करते हैं।

 

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बता दें कि यूपी पुलिस की इस भारी चूक के बाद बच्चे के परिजनों ने इस मामले में सीएम योगी से दखल देने की अपील की, जिसके बाद गुरुवार को पुलिस ने बच्चे का नाम एफआईआर से हटा दिया है। वहीं, शामली के एसपी दिनेश कुमार ने कहा है कि ये अधिकारियों की तरफ से की गई गंभीर चूक का मामला है। इस मामले में कांधला थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी।

 

12 सितंबर को हुआ था झगड़ा

 

उन्होंने कहा कि थाने के जांच अधिकारी अनूप कुमार और कुछ सिपाहियों से इस संबंध में स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया है। एफआईआर दर्ज करने से पहले अधिकारियों को उसकी उम्र तय कर लेनी चाहिए थी। पुलिस सूत्रों का कहना है कि ये झगड़ा शामली के खंदरावली गांव में 12 सितंबर को हुआ था।

 

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सूत्रों के मुताबिक दो स्थानीय निवासियों मनोज और महिपाल के बीच ताश खेलने के विवाद में झगड़ा हुआ था। जल्दी ही मनोज के मित्र सोनू और अविनाश भी इसमें शामिल हो गए। नाबालिग बच्चा घटनास्थल पर मौजूद था। उसी शाम को महिपाल ने मनोज, सोनू, अविनाश और बच्चे के खिलाफ मारपीट के मामले में शिकायत दर्ज करवाई।

 

सूत्र बताते हैं कि पुलिस ने तहरीर के आधार पर सभी आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 326 के तहत मामला दर्ज कर लिया। चूंकि तहरीर पर उम्र का जिक्र नहीं था, इसलिए भी पुलिस को उम्र का पता नहीं चल सका।

 

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