जानें शरद पूर्णिमा क्यों है खास, रात को पृ्थ्वी पर विचरण करती हैं मां लक्ष्मी, रात भर जागकर करें ये काम

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2020) मनाया जाता है. शरद पूर्णिमा का दिन कई मायनों में महत्वपू्र्ण है. इस बार शुक्रवार यानि कि आज शरद पूर्णिमा पड़ रही है. शरद पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर में सबसे प्रसिद्ध पूर्णिमा में से एक है. ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा वर्ष में एकमात्र दिन होता है जब चंद्रमा सभी सोलह कलाओं के साथ बाहर आता है. हिंदू धर्म में, प्रत्येक मानव गुण कुछ कलाओं से जुड़ा हुआ है और यह माना जाता है कि सोलह विभिन्न कलाओं का संयोजन एक आदर्श मानव व्यक्तित्व बनाता है. यह भगवान कृष्ण थे जो सभी सोलह कलाओं के साथ पैदा हुए थे और वे भगवान विष्णु के पूर्ण अवतार थे. भगवान राम का जन्म केवल बारह कलाओं के साथ हुआ था.


इसलिए, शरद पूर्णिमा के दिन भगवान चंद्र की पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. नवविवाहित महिलाएं, जो वर्ष के लिए पूर्णिमासी उपवास करने का संकल्प लेती हैं, शरद पूर्णिमा के दिन से उपवास शुरू करती हैं. गुजरात में शरद पूर्णिमा को शरद पूनम के नाम से अधिक जाना जाता है. ब्रज क्षेत्र में, शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्ण ने दिव्य प्रेम का नृत्य महा-रास किया था.


शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की भी पूजा होती है. ऐसी मान्यता है कि माता लक्ष्मी रात्रि में विचरण करती है और भक्तों पर धन-धान्य से पूर्ण करती है. इस दिन रात भर जाग कर मां लक्ष्मी के भजन करने चाहिए. कहते हैं मां लक्ष्मी इस दिन रात में जगने और मां लक्ष्मी के अराधना करने वालों को धन और वैभव का आशीर्वाद देती हैं. इस लिए इसे कोजागिरी पूर्णिमा भी कहते हैं. शरद पूर्णिमा इस दिन जन्म कुंडली में कमजोर चंद्रमा वाले जातक उपाय करते हैं. चंद्रमा बलवान होने से इस दिन छोटा सा उपाय कमजोर चंद्रमा मजबूत किया जा सकता है. घी के दीपक जलाकर मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाता है.


आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को चंद्रमा पृथ्वी के अधिक निकट होने से बलवान होगा. चंद्रमा की किरणों की छटा धरती को दूधिया रोशनी से नहलाएगी. इस छटा के बीच पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाएगा. मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा से अमृत बरसता है. महिलाएं शाम ढलने के बाद पूजा अर्चना करती हैं. छत पर अल्पना बनाकर गन्ना, खीर रखी जाती है. यह भी मान्यता है कि रात में चांद की रोशनी में रखी गई खीर खाने से पित्त रोग से छुटकारा मिलता है.


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