बिजली कर्मियों का PF घोटाला: योगी सरकार ने दिए CBI जांच के निर्देश, नियमों को ताक पर रख अखिलेश सरकार ने निजी कंपनी में कराया था निवेश

योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार ने अपनी भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेन्स की नीति के तहत एक बार फिर DHFL मामले में बडी कार्रवाई की है. प्रदेश सरकार ने UPPCL कर्मियों का पीएफ DHFL में जमा कराने वाले तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी और महानिदेशक पी. के. गुप्ता के खिलाफ न सिर्फ FIR दर्ज करा दी है, बल्कि पुलिस ने दोनों को तत्काल गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. साथ ही सरकार ने DHFL में फंसे UPPCL कर्मियों के करीब 1600 करोड़ रुपए को निकालने के लिए भी अपने स्तर से हर संभव प्रयास शुरू कर दिए हैं.


सीएम योगी आदित्यनाथ और उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के निर्देश पर इस पूरे मामले की जांच नए सिरे से शुरू कर दी गई है. इसमें दोषी मिलने पर UPPCL के अन्य आला-अधिकारियों के खिलाफ भी जल्द कड़ी कार्रवाई की जा सकती है. प्रकरण की गंभीरता को देखते राज्य सरकार ने सीबीआइ जांच कराने का फैसला भी किया है. सीबीआइ जब तक जांच शुरू नहीं करती तब तक लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में दर्ज कराई गई एफआइआर की विवेचना डीजी आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) डॉ.आरपी सिंह की देखरेख में होगी.


उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के एक लाख से अधिक कर्मचारियों की सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ)और अंशदायी भविष्य निधि (सीपीएफ) के 2267.90 करोड़ रुपये दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में फंस गए हैं. कर्मचारियों और विपक्षी नेताओं ने यह मुद्दा उठाया तो सरकार ने शनिवार को कई कार्रवाइयां कीं. मुख्यमंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसके लिए जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए थे.


मिली जानकारी के मुताबिक पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक का घोटाला सामने आने के बाद यह बात खुली की इस बैंक से डीएचएफएल का भी जुड़ाव रहा है. मुंबई हाईकोर्ट ने पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक के साथ ही डीएचएफएल के भुगतान पर रोक लगा दी है. ये बातें सामने आने के बाद कारपोरेशन हरकत में आया. बीते 10 अक्तूबर को कारपोरेशन ने पावर सेक्टर इंप्लाइज ट्रस्ट के सचिव व कारपोरेशन के महाप्रबंधक वित्त प्रवीण कुमार गुप्ता को निलंबित कर दिया था. विभागीय कार्यवाही भी जा रही है। शनिवार को सरकार ने इस मामले में प्राथिमकी दर्ज कराई, जिसके बाद प्रवीण कुमार गुप्ता के साथ ही सुधांशु  द्विवेदी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.


अखिलेश सरकार में किया गया था निवेश का फैसला

उत्तर प्रदेश स्टेट पावर सेक्टर इम्पलाइज ट्रस्ट में जमा UPPCL कर्मियों के पीएफ का 1600 करोड़ रुपया निजी कंपनी DHFL में निवेश किये जाने से फंस गया है. UPPCL कर्मियों के पीएफ का पैसा केंद्र सरकार की गाईडलाइन को दरकिनार कर निजी कंपनी DHFL में निवेश करने का फैसला अखिलेश सरकार में किया गया था. यह फैसला 21 अप्रैल 2014 को हुई उत्तर प्रदेश स्टेट पावर सेक्टर इम्पलाइज ट्रस्ट के बोर्ड आफ ट्रस्टीज की बैठक में किया गया था. इसके चलते मार्च 2017 से दिसंबर 2018 तक UPPCL कर्मियों के पीएफ का 2631.20 करोड रुपया DHFL में जमा किया गया. इस दौरान 1000 करोड़ रुपया तो वापस मिल गया, लेकिन इसी बीच मुम्बई हाईकोर्ट ने डीएचएफएल द्वारा किए जाने वाले सभी भुगतान पर रोक लगा दी, जिससे UPPCL कर्मियों के पीएफ का करीब 1600 करोड़ रुपया DHFL में फंस जाने से हड़कंप मच गया है. इसके बाद विभिन्न विद्युत कर्मचारी संगठन कर्माचारियों के PF के निवेश से जुडी जानकारी के साथ उसकी सुरक्षा के प्रति आश्वस्त करने के लिए सरकार से श्वेत पत्र जारी कर, इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग कर रहे हैं.


किसी का कोई अहित न हो सरकार यह सुनिश्चित करेगी सरकार: श्रीकांत शर्मा

ऐसे में DHFL मामले पर शुरू हुई सियासत के चलते प्रियंका के ट्वीट के बाद यूपी के उर्जामंत्री श्रीकांत शर्मा ने भी इस मामले पर ट्वीट किया. श्रीकांत शर्मा ने अपने ट्वीट में लिखा कि ‘DHFL में कर्मचारियों की भविष्य निधि के निवेश का मामला गंभीर है. इसमें जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. UPPCL के सभी कार्मिक मेरे परिवार के सदस्य हैं, किसी का कोई अहित न हो सरकार यह सुनिश्चित करेगी.’


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