कूटनीति में कोई परमानेंट दोस्त या दुश्मन नहीं होता है, परिस्थितियां तय करती हैं कब कौन आलोचक होगा कब समर्थक. कुछ ऐसी ही बदलते रिश्ते भारत औऱ कनाडा (India and Canada) के बीच दिख रहे हैं. कुछ दिन पहले किसान आंदोलन को लेकर भारत की आलोचना करने वाला कनाडा आज भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की जय-जयकार कर रहा है. प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) इन दिनों पीएम मोदी की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. कनाडा के प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर विश्व कोरना से जंग में कामयाब होता है तो इसकी वजह भारत और पीएम नरेंद्र मोदी होंगे.
कोरोना से अगर विश्व जीतता तो उसकी वजह पीएम मोदी होंगे
कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने भारत की सराहना करते हुए कहा कि यदि दुनिया कोविड-19 के खिलाफ जंग को जीतने में कामयाब रही तो उसमें भारत की जबरदस्त फार्मास्युटिकल क्षमता और इस क्षमता को दुनिया के साथ साझा करने में प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व महत्वपूर्ण होगा. प्रधानमंत्री मोदी ने कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो को उनकी इस भावना के लिए धन्यवाद दिया. माना जा रहा था कि इसी दबाव की वजह से जस्टिन ट्रूडो ने किसान आंदोलन का समर्थन किया था.
बता दें कि बीते साल नवंबर में गुरु नानक जयंती के मौके पर जस्टिन ट्रूडो ने भारत में चल रहे आंदोलन को लेकर टिप्पणी की थी. जिस पर भारत के विदेश मंत्रालय ने कड़ा ऐतराज जताते हुए दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को ‘गंभीर नुकसान’ पहुंचने की बात कही थी. सवाल उठना लाजिमी है कि जस्टिन ट्रूडो ने आखिर क्यों किसान आंदोलन का समर्थन किया था? मोदी सरकार और ट्रूडो के बीच दूरी की क्या वजह है? भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कनाडाई समकक्ष जस्टिन ट्रूडो के बीच रिश्ते ठीक-ठाक रहे हैं. कनाडा में बसे खालिस्तान समर्थकों की वजह से इन दोनों के रिश्तों में काफी खटास बनी रहती है. कनाडा के पीएम ट्रूडो पर खालिस्तानियों के प्रति नरम रुख अपनाने के आरोप लगते रहे हैं.
खालिस्तान के दबाव में की थी भारत की आलोचना
दरअसल, कनाडा में सिख समुदाय का काफी प्रतिनिधित्व है और वहां कई सिख सांसद भी हैं. इनमें खालिस्तान और पाकिस्तान का समर्थक जगमीत सिंह का नाम भी शामिल है. न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) का चीफ होने के साथ ही जगमीत सिंह सांसद भी है. वह पहले भी कई बार खालिस्तान के मुद्दे को लेकर कनाडा की सरकार पर दबाव बनाता रहा है. हाल ही में उसने किसान आंदोलन का समर्थन करने को लेकर जस्टिन ट्रूडो समेत कई देशों से अपील भी की थी. माना जा रहा था कि इसी दबाव की वजह से जस्टिन ट्रूडो ने किसान आंदोलन का समर्थन किया था.
वैक्सीन मिलने के बाद भारत की जय-जयकार कर रहा कनाडा
कोविड-19 टीकों की कमी से जूझ रहे कनाडा का रुख अब किसान आंदोलन मामले पर बदल गया है. माना जा रहा है कि भारत के कोविड-19 टीके दुनिया में सबसे ज्यादा असरकारक हैं. जिसकी वजह से जस्टिन ट्रूडो के तेवर किसान आंदोलन को लेकर ढीले पड़ गए हैं. हाल ही में विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि कनाडा के पीएम ने किसान आंदोलन को लेकर भारत सरकार बातचीत से रास्ता निकालने के प्रयासों की सराहना की है. ट्रूडो सरकार कनाडा में मौजूद राजनयिकों और परिसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी. जस्टिन ट्रूडो और प्रधानमंत्री मोदी की फोन पर बात होने के बाद जारी किए गए बयानों में दोनों ही देशों ने किसान आंदोलन का जिक्र नहीं किया था.
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