नेपाल (Nepal) के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) की कुर्सी खतरे में है. इस बीच उन्हें राम की याद आई है और उन्होंने इसी को लेकर बेतुका दावा किया है. उन्होंने कहा कि असली अयोध्या (Ayodhya) नेपाल में है, न की भारत में. उन्होंने कहा, ”भगवान राम नेपाली हैं, भारतीय नहीं.” वहीं अपने इस बयान को लेकर ओली अब अपने घर में ही घिर गए हैं. नेपाल के कई नेताओं ने खुलकर ओली के इस बयान का विरोध किया है. नेताओं ने कहा कि भारत और नेपाल के बीच वैसे भी तनाव की स्थिति बनी हुई है ऐसे में कोली को ऐसे दावों से बचना चाहिए.
ओली के इस दावे पर नेपाल में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री कमल थापा ने कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ”किसी भी प्रधानमंत्री के लिए इस तरह का आधारहीन और अप्रामाणित बयान देना उचित नहीं है. ऐसा लगता है कि पीएम ओली भारत और नेपाल के रिश्ते और बिगाड़ना चाहते हैं, जबकि उन्हें तनाव कम करने के लिए काम करना चाहिए.”
गौरतलब है कि नेपाल की ओर से नया राजनीतिक नक्शा (Nepal’s New map) जारी करने और भारत (India) के कुछ हिस्सों को इसमें शामिल करने को लेकर नेपाल के पीएम ओली पहले ही भारत की आलोचना के केंद्रबिंदु बने हुए हैं. भारत का साफ तौर पर मानना है कि चीन की शह पर नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के केपी शर्मा ओली इस तरह के कदम उठा रहे हैं जो कि उनके लिए ‘आत्मघाती’ साबित हो रहे हैं.
भारत विरोधी रुख को लेकर ओपी के खिलाफ विरोधी एकजुट होते जा रहे हैं और उन्हें पद से हटाए जाने की मांग ने जोर पकड़ लिया है. नेपाल ऐसा देश है जो आर्थिक सहित हर तरह की मदद के लिए बहुत कुछ भारत पर निर्भर है. भारत के साथ उसके पुराने सांस्कृति संबंध भी रहे हैं.नेपाल के नए नक्शे के मामले में ओली के रुख से भारत खफा है. भारतीय सूत्रों ने कहा,’ भारत और नेपाल के बीच अब बातचीत के लिये अनुकूल माहौल तैयार करने का दायित्व पूरी तरह से नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) और उनकी सरकार का है क्योंकि नया नक्शा जारी करना राजनीतिक फायदा हासिल करने का उसका “अदूरदर्शी” एजेंडा था.’
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