Mahabharat: स्त्रियों के विषय में भीष्म पितामह ने कही थी ये महत्वपूर्ण बातें

अध्यात्म: महाभारत का जिक्र होता है तो सबसे श्रेष्ठ भीष्म पितामह का नाम आना जाहिर सी बात है. भीष्म पितामह महाभारत के एक महान पात्र थे. वो हस्तिनापुर के राजा और राजा शांतनु और देवनदी गंगा के पुत्र थे. पितामह ने अपने पिता के दूसरी शादी कराने के लिए आजीवन ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा ली थी. भीष्म की पितृभक्ति को देखकर महाराज शांतनु ने उन्हें इच्छामृत्यु का वरदान दिया था.


वो एक महान योद्धा होने के साथ दार्शनिक और कुशल रणनीतिकार भी थे. उनके पास कई अद्भुत शक्तियां थीं. उनके पास ऐसी दूरदृष्टि थी जिससे वो आगे के समय को भी देख सकते थे. कहा जाता है कि महाभारत युद्ध में जब भीष्म पितामह बाणों की शैय्या पर लेटे हुए थे तब उन्होंने युधिष्ठिर को नीति संबंधी महत्वपूर्ण बातें बताई थीं. जिसे भीष्म नीति के नाम से जाना जाता है.


भीष्म पितामह के 16 रहस्य, जानिए Bhishma pitamah

भीष्म पितामह ने भीष्म नीति के अनुसार, महिलाओं के विषय में तीन महत्वपूर्ण बातें कहीं थीं. उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण, उनके सम्मान, समाज में बराबरी का अधिकार से जुड़ी बातें कहीं थी. हम सभी जानते हैं कि महाभारत युद्ध का एक कारण महिला का भरी सभा में अपमान भी था. वह महिला और कोई नहीं बल्कि द्रोपदी थी.


भीष्म नीति के अनुसार, पितामह ने युधिष्ठिर को बताया कि जिस घर में स्त्री खुश होती हैं, उस घर में खुशियां भी आती हैं. स्त्री लक्ष्मी का स्वरूप होती हैं. वहीं जिस घर में स्त्री दुखी होती है, उसका सम्मान नहीं होता, वहां से लक्ष्मी और देवता भी चले जाते हैं. ऐसे स्थान पर विवाद, कटुवचन, दुख और अभावों की ही प्रबलता होती है.


भीष्म नीति के अनुसार, बेटी, बहु, मां एवं बहन या परिवार की अन्य महिलाओं का सम्मान करना चाहिए. उनके अधिकारों का हनन नहीं करना चाहिए. क्योंकि जहां महिलाओं का सम्मान होता है. जहां नारी सशक्त होती है. वहां स्वयं देवता निवास करते हैं. शास्त्रों में यह श्लोक भी है – यत्र नार्येस्तु पूज्यंते रमन्ते तत्र देवताः।


भीष्म के अनुसार, मनुष्य को कभी भी ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे वह किसी महिला के शाप का भागी बने. क्योंकि उनकी हाय विनाश लेकर आती है. भगवान श्रीकृष्ण का कुल भी एक महिला (गांधारी) के श्राप के कारण मिट गया था. इसलिए स्त्री, बालक, बालिका, गौ, असहाय, प्यासा, भूखा, रोगी, तपस्वी और मरणासन्न व्यक्ति को नहीं सताना चाहिए. जो इनसे श्राप लेता है उसका विनाश निश्चित होता है.


Also Read : Mahabharat: आखिर क्यों युद्ध के समाप्त होते ही धूं-धूं कर जल उठा अर्जुन का रथ, जानें ये बड़ी वजह


Also Read :  ये हैं भगवान बजरंगबली के 5 सगे भाई, शायद ही कभी सुना हो इनका नाम


( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमेंफेसबुकपर ज्वॉइन करें, आप हमेंट्विटरपर भी फॉलो कर सकते हैं. )