यूपी पुलिस- आपकी सेवा में सदैव तत्पर. ये महज स्लोगन नहीं है. विभाग के कर्मचारियों ने इसको चरितार्थ करके दिखाया है. मामला आगरा का है जहाँ दो वर्ष पहले खो चुके बच्चे को जीआरपी की टीम ने ढूंढ निकला. जिस समय अपने बच्चे के मिलने की उम्मीद भी खो चुकी हो, ऐसे वक्त उसे अपने सामने खड़ा देख एक मां खुद को रोक नहीं पाई. बच्चे की मां ने उसे गले से लगाते हुए पुलिस टीम का सहर्ष धन्यवाद किया. राजकीय रेलवे पुलिस आगरा ने ऑपरेशन मुस्कान के तहत बीते लगभग 20 दिनों में 100 से अधिक बच्चों को जिसमें विभिन्न जनपद एवं राज्यों से बरामद कर उनके परिवारों से मिलाया.
कैंट SP PRO ने किया वीडियो शेयर
आगरा जिले में खोये हुए बच्चों का पता लगाने के लिए कई टीमें लगाई गयीं थीं. इसी के अंतर्गत दो साल पहले गुम हुए सचिन को भी पुलिस टीम ने खोज निकला. जब वह अपने परिवार के पास गया तो वहां का माहौल काफी इमोशनल हो गया. जिसका वीडियो आगरा कैंट PRO सचिन कौशिक ने अपने ट्विटर अकॉउंट पर शेयर किया है. वीडियो में बच्चे की मां उसे गले लगाकर काफी रो रहीं हैं. वहीँ खोया हुआ सचिन भी अपने घरवालों से मिलकर खुद को रोक नहीं पाया.
उन्होंने अपनी ट्विटर अकॉउंट पर लिखा कि, ये है सचिन, जो 2 वर्ष पूर्व अपने परिवार से गुम हो गया था. माँ ने बच्चे के वापस आने की उम्मीद लगभग छोड दी थी. जीआरपी आगरा की समर्पित टीम ने 3 दिन की कड़ी मेहनत के बाद अंततः सचिन को उसके माता-पिता से मिला दिया। Red heart #OperationMuskan #UPPolice
आगरा जीआरपी ने शुरू किया था अभियान
बता दें कि, जीआरपी आगरा अनुभाग के प्रभारी एसपी मोहम्मद मुश्ताक ने बताया कि टीमों को आगरा व झांसी की टीमों को प्रदेश के आगरा, मथुरा, हाथरस, एटा, फिरोजाबाद, अलीगढ़, कासगंज, मैनपुरी, इटावा, फर्रुखाबाद, बांदा, जालौन, ललितपुर, हमीरपुर, कानपुर, महोबा, झांसी व चित्रकूट जिलों में भेजा गया था. टीम ने सर्विलांस व लोगों से जानकारी जुटाकर 100 बच्चों को 20 दिनों में तलाश लिया. तलाशे गए बच्चों में ही फिरोजाबाद के बालगृह में दो साल से रह रहे सचिन (14) को उसके स्वजन के सुपुर्द कर दिया गया है. सचिन ने टीम को बताया था कि उसके माता-पिता वृंदावन में किराए पर रहते थे. इसके बाद टीम सचिन को लेकर वृंदावन पहुंची. दो दिन गली-गली घूमने के बाद तीसरे दिन सुनरख कालोनी वृंदावन में उसक स्वजन से मिलवाया. जिसका वीडियो सिपाही ने शेयर किया है.
इस अभियान को सफल बनाने के लिए खोये हुए बच्चों से संबंधित पूरी जानकारी सहित एक एल्बम तैयार की गयी. जिसमें कुल 231 बच्चे गुमशुदा पाये गये. सभी बच्चों को बरामद करने के लिए एक समर्पित व स्व-प्रेरित (Self Motivated) टीम व बेहतर रणनीति की जरूरत थी. जिसके लिए सबसे पहले एक SOP (Standard Operating Procedure) तैयार की गयी. इसके बाद दोनों अनुभागों से समर्पित एवं जो पुलिस कर्मी सामाजिक कार्यों में रुचि रखने एवं सामाजिक कार्यों के लिए प्रोत्साहित रहने वाले पुलिस कर्मियों का साक्षात्कार के माध्यम से चयन किया गया.
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