कानपुर पुलिस लाइन का जर्जर बैरक बीती रात भरभरा कर पुलिसकर्मियों के ऊपर गिर पड़ा। जिसमे एक सिपाही की मौत हुई तो कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए। घायल सिपाहियों ने अब प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए शिकायत की है। उनका कहना है कि अंग्रेजों के जमाने में बनी हुई इन बैरकों में कभी मरम्मत का काम हुआ ही नहीं, जबकि इसके लिए हर साल पैसा आता है।
सिपाहियों ने लगाए ये आरोप
जानकारी के मुताबिक, पुलिस लाइन में वर्ष 1948 में चार बैरकों का निर्माण कराया गया था। दो मंजिला यह चारों बैरक पुलिस लाइन की सबसे पुराने इमारतों में हैं। इनमें से बैरक नंबर एक बेहद जर्जर हालत में थी। बैरक के हाल के अलावा सिपाही यहां के बरामदों के नीचे भी अपनी चारपाई डाले हुए हैं। सिपाहियों की मानें तो कोतवाली क्षेत्र में बनी पुलिस लाइन का निर्माण 1917-18 में हुआ था। इसके बाद से इसकी मरम्मत तक नहीं हुई।
हालांकि हर साल 15 अगस्त या 26 जनवरी को रंगाई पुताई जरूरी हो जाती है। यहां रह रहे सिपाहियों ने आरोप लगाया कि जर्जर क्वार्टरों में छत का प्लास्टर गिरना, दीवार गिरना तो आम बात हो गई है। आलाधिकारी आए दिन पुलिस लाइन की बैरक, मेस, शौचालय आदि देखते हैं। जर्जर हालत देख मरम्मत का आश्वासन भी देते हैं। अमर उजाला अखबार की मानें तो सिपाहियों का आरोप है कि हर साल मरम्मत का पैसा भी आता था, बावजूद इसके मामले को हल्के में लिया गया।
एसएसपी ने दिए जांच के निर्देश
पुलिस लाइन के बैरक नंबर एक के बरामदे की छत जब गिरी उस दौरान एक तिहाही पुलिसकर्मी मौजूद थे वहीं हादसा स्थल पर तो न के बराबर पुलिसकर्मियों की संख्या थी, नहीं 72 साल पुरानी यह बैरक कई पुलिसकर्मियों को निगल लेती जिसका जवाब आला अधिकारियों को भी देते नहीं बनता। खैर एसएसपी डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने इस हादसे के कारणों की जांच करने के निर्देश दिए हैं, देखते हैं गिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रावाई होती है या ये भी तमाम राजनीतिक मुद्दों के बीच दब जाएगा।
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