यूपी पुलिस के इन ‘पांच टैलेंटेड पुलिसवालों’ ने बनाया विभाग और कोर्ट का काम और भी आसान

उत्तर प्रदेश पुलिस में टैलेंटेड पुलिसकर्मियों की कमी नहीं है। इस बात को सच साबित करते हैं महोबा जिले में तैनात यूपी पुलिस के पांच जवान। इन पांचों जवानों ने मिलकर न्यायालय और पुलिस विभाग का काम और भी आसान कर दिया है। इन जवानों ने कोर्ट में लंबित वादों के निपटारे का समय कम करने के लिए नए तरह का सॉफ्टवेयर विकसित किया है।

 

कोर्ट प्रोसेस मैनेजमेंट सिस्टम आसान करेगा काम

जानकारी के मुताबिक, कोर्ट प्रोसेस मैनेजमेंट सिस्टम (सीपीएमएस) नामक इस कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के जरिए महज एक क्लिक से जिले के सभी थानों के कोर्ट में विचाराधीन केसों का विवरण देखकर संबंधित लोगों को सक्रिय किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि इस सॉफ्टवेयर की सफलता को देखते हुए महोबा पुलिस अब आस-पड़ोस के अन्य जिलों को भी यह सॉफ्टवेयर सौंप रही है।

 

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बता दें कि सीपीएमएस सॉफ्टवेयर की खास बात यह है कि अगर कोई अधिकारी हत्या, डकैती, लूट, रेप, दुष्कर्म और सड़क हादसे के वो मामले जो कोर्ट में चल रहे हैं, उन्हें देखना चाह रहा है तो इस सॉफ्टवेयर के जरिए बस एक क्लिक कर अलग-अलग आंकड़ों में आसानी से देख पाएंगे। यही नहीं, अगर किसी निश्चित अवधि के बीच के मामले देखने हैं तो उन्हें भी एक एक क्लिक के जरिए एक साथ देखा जा सकेगा।

 

इस टीम ने तैयार किया है ये सॉफ्टवेयर

सूत्रों के मुताबिक, एसपी कुवंर अनुपम कुमार सिंह, मॉनिटरिंग सेल के सब इंस्पेक्टर रूद्रप्रताप सिंह, सुनील तिवारी, टेक्निकल टीम के अंकुर जायसवाल, रहमान रशीद और कांस्टेबल जीतेंद्र कुमार की टीम ने सीपीएमएस सॉफ्टवेयर को तैयार किया है। इसकी मदद से जिले के किसी भी कोर्ट में चल रहे केस संबंधित कागजात न्यायालस से पैरोकार के हाथ में आते ही वह सबसे पहले मॉनिटरिंग सेल में संपर्क कर उसका विवरण अपलोड कराएगा।

 

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इसके बाद थाने पर प्रक्रियानुसार तामीला के बाद वापसी में उसे फिर अपडेट किया जाएगा। ऐसा करने से मॉनिटरिंग सेल के पास हर केस, विवेचक, वादी और गवाह का विवरण और कोर्ट पहुंचने की तारीख मौजूद रहेगी।

 

पीड़ित को जल्द से जल्द मिल सकेगा न्याय

वर्तमान समय में यूपी पुलिस का अधिकांश काम कंप्यूटराइज्ड हो चुका है। लेकिन अभी तक कोर्ट में मामले पूरी तरह मैनुअल सिस्टम पर ही चल रहे थे। ऐसे में कोर्ट से निकलने वाले समन, वारंट और एनबीडब्ल्यू थानों के पैरोकार कलेक्ट कर उनका व्यवस्थानुसार निस्तारण करते थे।

 

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इस दौरान मानवीय भूल के चलते अक्सर समन और वारंट का गुम हो जाना, कागजातों में दबे रहने से तारीख के बीत जाने के मामले सामने आते रहते थे, जिससे न्यायालय को दोबारा तिथि बढ़ानी पड़ती थी। ऐसे में यह प्रक्रिया लंबी होने से पीड़ित को न्याय मिलने में काफी समय लगता था, लेकिन सीपीएमएस सॉफ्टवेयर की मदद से यह काम अब आसान और ऑनलाइन हो सकेगा।

 

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