नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill, CAB) के खिलाफ राजधानी दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी (Jamia milia Islamia University) स्टूडेंट्स ने शुक्रवार को विश्वविद्यालय परिसर से संसद तक मार्च का आह्वान किया जिन्हें पुलिस ने बीच में ही रोक दिया. इस दौरान दोनों के बीच हिंसक झड़प हुई जिनमें 12 पुलिसकर्मी घायल हो गए वहीं दो आइसीयू में भर्ती बताए जा रहे हैं. स्टूडेंट्स का आरोप है कि उनपर पुलिसकर्मियों ने बल प्रयोग किया। वहीं, पुलिस का कहना है कि धारा 144 लागू होने के कारण मार्च निकालने की इजाजत नहीं है.
छात्रों व पुलिस के बीच गतिरोध के दौरान कई मीडिया कर्मी भी घायल हो गए. भीड़ ने पुलिस कर्मियों पर पथराव किया, जिस पर आंसूगैस के गोले छोड़े गए. इसमें कुछ छात्र भी घायल हुए. करीब 50 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है और जैतपुर व बदरपुर के पुलिस थाने में ले जाया गया है. छात्रों के प्रदर्शन की वजह से एहतियात के तौर पर दिल्ली मेट्रो के पटेल चौक और जनपथ मेट्रो स्टेशन पर पुलिस की सलाह के बाद एंट्री और एक्जिट को बंद कर दिया गया है.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘शुरुआत में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए कम संख्या में बल का इस्तेमाल किया गया, लेकिन कुछ ही मिनट में भीड़ पत्थर के साथ नजर आई. पथराव में हमारे कई लोग घायल हो गए हैं.’ हालांकि, छात्रों ने हिंसा के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज और आंसूगैस का इस्तेमाल बिना किसी उकसावे के किया गया. जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र मेहरबान ने कहा, “पुलिस ने हम पर हमला किया और कई बार आंसूगैस का इस्तेमाल किया.”
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शुक्रवार को ढाई बजे के करीब छात्र जामिया यूनिवर्सिटी के छात्र बिना पुलिस परमिशन के हज़ारों की संख्या में पार्लियामेंट जाने के लिए निकले, जिसके बाद पुलिस ने उनको होली फैमिली हॉस्पिटल के पास रोकने की कोशिश की. छात्रों के अंदर से कुछ लोगों ने पुलिस वालों के ऊपर पत्थरबाज़ी करनी शुरू कर दी, जिसके बाद पुलिस को छात्रों पर आंसू गैस के गोले और लाठी चार्ज करना पड़ा. इस लाठीचार्ज और पत्थरबाज़ी में 12 पुलिस वाले घायल हुए है. जिनमे दो को गंभीर चोट आई है.
कानून बना नागरकिता संशोधन बिल
बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल 2019 बुधवार को राज्यसभा में पारित हो गया. यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका था. गुरुवार देर रात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से इसे मंजूरी मिलने के बाद यह विधेयक कानून में बदल गया. राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 125 वोट और विरोध में 99 वोट पड़े थे. वहीं, लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 311 और विरोध में 80 वोट पड़े. नागरिकता संशोधन कानून के तहत भारत के तीन पड़ोसी इस्लामी देशों- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर भारत की शरण में आए गैर-मुस्लिम लोगों को आसानी से नागरिकता मिल सकेगी.
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