कश्मीर में एक आतंकी के पीछे मारे जाते हैं 5 आम नागरिक: गुलाम नबी आजाद

जम्मू-कश्मीर में गठबंधन की सरकार से बीजेपी के अलग होने और राज्य में आतंक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के केंद्र सरकार के वादे के एक दिन बाद ही सीनियर कांग्रेस लीडर गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि केंद्र सरकार की दमनकारी नीति का सबसे अधिक नुकसान आम जनता को भुगतना पड़ता है. उन्होंने कहा कि कश्मीर में चार आतंकियों को मारने के लिए 20 सिविलियंस को मार दिया जाता है.

उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाते कहा कि सेना का एक्शन नागरिकों के खिलाफ ज्यादा और आंतकियों के खिलाफ कम है. उन्होंने यह भी कहा कि घाटी में हालात बिगड़ने का मुख्य कारण यह है कि मोदी सरकार बातचीत करने की अपेक्षा कार्रवाई करने में ज्यादा यकीन रखती है. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा लगता है कि वे हमेशा हथियार इस्तेमाल करना चाहते हैं.

आजाद ने कहा, ‘ इसे ऑल आउट आपरेशन कहना, यह स्पष्ट बताता है कि वो बड़े नरसंहार करने की योजना बना रहे हैं. वो यह नहीं कहते कि इस मसले को बातचीत के जरिए हल किया जाएगा. यहां तक कि अमेरिका और उत्तर कोरिया ने अपने मसले बातचीत से हल किए. ‘

आजाद ने यह भी कहा कि कश्मीर की इस हालत के पीछे बड़ा कारण यह है कि जिस दिन से पीएम मोदी सत्ता में आए हैं वो हमेशा एक्शन की बात करते हैं. इससे लगता है कि वह हमेशा बंदूक उपयोग करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी-पीडीपी सरकार के दौरान लोकल रिक्रूटमेंट बड़े स्तर पर रहा है. इसी दौरान अधिकतर नागरिक और सैनिक मारे गए. आजाद ने कहा कि बीजेपी के साढ़े तीन साल की शासन में कश्मीरियत को तबाह कर दिया गया.

जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से समर्थन वापस ले लिए जाने के बाद तीन साल पुरानी महबूबा मुफ्ती सरकार गिर गई. बीजेपी के समर्थन वापसी के बाद महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद राज्य में राज्यपाल शासन लागू हो चुका है. जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के प्रभारी राम माधव का कहना है कि घाटी में जारी हिंसा को लेकर पीडीपी का रवैया उदासीनता का रहा.

राज्यपाल शासन लगने के बाद बुधवार को उन्होंने कहा- ‘गठबंधन को पहला झटका तभी लग गया था, जब 2016 में महबूबा मुफ्ती के पिता और तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का निधन हुआ था.’