अयोध्या फैसले से पहले पीएम मोदी की अपील- किसी की हार-जीत नहीं, शांति-सौहार्द बनाए रखें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर शनिवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला (Ayodhya verdict) आने से पहले देशवासियों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा है कि जो भी फैसला आएगा, वो किसी की हार-जीत नहीं होगा. उन्होने देशवासियों से शांति-सौहार्द बनाए रखने की अपील की है.


प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार रात सिलसिलेवार ट्वीट कर यह अपील की. सुप्रीम कोर्ट इस संवेदनशील मामले पर शनिवार सुबह साढ़े दस बजे अपना बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाएगा. कोर्ट की वेबसाइट पर एक नोटिस के माध्यम से शुक्रवार शाम इस बारे में जानकारी दी गयी. प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया कि अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएगा, वो किसी की हार-जीत नहीं होगा. देशवासियों से मेरी अपील है कि हम सब की यह प्राथमिकता रहे कि ये फैसला भारत की शांति, एकता और सद्भावना की महान परंपरा को और बल दे.


पीएम मोदी ने कहा कि अयोध्या पर कल सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आ रहा है। पिछले कुछ महीनों से सुप्रीम कोर्ट में निरंतर इस विषय पर सुनवाई हो रही थी, पूरा देश उत्सुकता से देख रहा था. इस दौरान समाज के सभी वर्गों की तरफ से सद्भावना का वातावरण बनाए रखने के लिए किए गए प्रयास बहुत सराहनीय हैं. उन्होंने कहा कि देश की न्यायपालिका के मान-सम्मान को सर्वोपरि रखते हुए समाज के सभी पक्षों ने, सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों ने, सभी पक्षकारों ने बीते दिनों सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए जो प्रयास किए, वे स्वागत योग्य हैं. कोर्ट के निर्णय के बाद भी हम सबको मिलकर सौहार्द बनाए रखना है.


इस फैसले के मद्देनजर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एहतियातन पूरे प्रदेश में स्कूल, कॉलेज, एजुकेशनल सेंटर और ट्रेनिंग सेंटर बंद रखने का फैसला लिया है. जानकारी के मुताबिक यूपी में 9 से 11 नवंबर तक स्कूल और कॉलेजों में छुट्टी घोषित की गई है. इसी तरह दिल्ली और मध्य प्रदेश में भी स्कूल कॉलेज बंद रहेंगे.


गौरतलब है कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 16 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली थी और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में कोर्ट ने 40 दिन तक दलीलें सुनी थीं. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.


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