बलिया: महिलाओं से मारपीट, गाली-गलौज और गहने छीनने के मामले में राज्यमंत्री आनंद स्वरुप शुक्ला पर परिवाद दर्ज, 25 पुलिसकर्मी भी आरोपी

उत्तर प्रदेश के बलिया (Ballia) जिले में अपनी मांगों के लिए राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला (Anand Swarup Shukla) के आवास पर गईं महिलाओं से मारपीट, गाली-गलौज करने और गहने छीने के आरोप में राज्यमंत्री और 50 अन्य पर परिवाद दर्ज किया गया है। राज्यमंत्री के घर पर हुई इस घटना में संबंधित थाना कोतवाल बालमुकुंद समेत 20 पुलिसकर्मियों को भी आरोपी बनाया गया है।


यह मामला मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में याचिका दाखिल किए जाने के बाद दर्ज हुआ है। बयान दर्ज कराने के लिए 24 अगस्त की तारीख निर्धारित की गई है। जानकारी के अनुसार, शहर के मोहल्ला बनकटा निवासी रानी देवी पत्नी लल्लन शाह ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में परिवाद दर्ज करने के लिए याचिका दाखिल की थी।


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इसमें कहा गया था कि मोहल्ले के कई बच्चों का स्कूलों में एडमिशन हुआ है। योजना के तहत बच्चों को पाठ्य पुस्तकें, ड्रेस आदि के लिए 5000 रुपए सहायता राशि देने का प्रावधान है। लेकिन पिछले 2 साल से यह धनराशि नहीं मिल रही है। इसको लेकर बीती 5 अप्रैल की दोपहर रानी देवी और अन्य महिलाएं राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला के आवास पर गई थीं।


आरोप है कि उनकी मांगें सुनकर राज्यमंत्री, उनके भाई और अन्य लोग नाराज हो गए। इसके बाद धक्का देकर महिलाओं को आवास से बाहर निकालने लगे। उन लोगों ने गाली-गलौज करने के साथ ही मारपीट भी की। यही नहीं, महिलाओं के गहने भी छीन लिए गए और पुलिस को बुलाकर लाठीचार्ज कराया गया। इतना ही नहीं, मोबाइल छीनकर बंधक बनाते हुए घटना का वीडियो डिलीट करा दिया। इसके बाद सादे कागज पर साइन भी करा लिए गए। शिकायत करने पर भी पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की।


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पुलिस ने कोर्ट को दी ये जानकारी


याचिका दाखिल होने के बाद कोर्ट ने पुलिस से मामले की रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट में पुलिस ने आरोपों से इंकार करते हुए बतयाा कि 20 से 25 महिलाए और पुरुष प्रति छात्र 10,000 रुपए दिलवाने और ग्राम पंचायत का नियम बदलवाने के लिए मंत्री के आवास पर पहुंचे थे। आश्वासन के बाद भी लोगों ने तोड़फोड़ की। रानी देवी सहित 6 नामजद और 20-25 अज्ञात लोगों पर केस दर्ज किया गया है।


22 जुलाई के अपने आदेश में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुरेंद्र प्रसाद ने माना कि इस प्रकरण में तथ्यों की जानकारी पीड़ितों ने खुद उपस्थित होकर दी है। इसे वे न्यायालय में साक्ष्य से साबित कर सकते हैं। इसलिए परिवार दर्ज किया जाता है। साथ ही बयान दर्ज कराने के लिए 24 अगस्त की तिथि निर्धारित की गई है।


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