बड़ा खुलासा: नकली भाभी निकलीं ‘भीम आर्मी’ की सक्रिय कार्यकर्ता, CM योगी को दलित विरोधी साबित करने के लिए फोटोशॉप तस्वीरों का लिया सहारा

हाथरस कांड (Hahtras Case) में नकली भाभी (Fake Bhabhi) ने सनसनी मचा रखी है. एसआईटी महिला के बारे में जानकारी जुटा रही क्योंकि शुरूआती जांच नकली भाभी के नक्सली कनेक्शन (Naxal Bhabhi) की ओर इशारा कर रही है. वहीं इसी बीच महिला के भीम आर्मी के सक्रिय कार्यकर्ता होने की पुष्टि हुई है. खुद को पीड़िता की भाभी बताने वाली डॉ. राजकुमारी बंसल (Dr Rajkumari Bansal) के बारे में ग्वालियर भीम आर्मी के पदाधिकारियों ने स्वीकारा है कि वह संगठन से जुड़ी हैं. उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन व पुलिस महिला पर कोई कार्रवाई करती है तो हम उनके साथ खड़े हैं.


भीम आर्मी, ग्वालियर के जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष आजाद प्रीतम सिंह ने कहा कि डॉ. राजकुमारी बंसल भीम आर्मी से जुड़ी हैं. हमारी बहन हैं. मैं व्यक्तिगत रूप से परिचित हूं. हालांकि उन्होंने ये भी कहा वे सदस्य नहीं है. उनका कहना है यदि प्रशासन या पुलिस बंसल पर कोई कार्रवाई करता हैं तो हम उनके साथ खड़े होंगे,


सीएम योगी के खिलाफ फेसबुक पर उगला जहर

दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक तीन अक्टूबर को डाले गए एक पोस्ट में तो उन्होंने यहां तक लिखा है कि अफसोस है कि हाथरस की बेटी हिंदू है. यदि उसे दफनाया गया होता तो पोस्टमार्टम किया जा सकता. हाथरस मामले से विवादों में आने के बाद उनका उक्त पोस्ट भी चर्चा में आ गया है. इस पूरे घटनाक्रम को लेकर डॉ. बंसल से लगातार संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन वह फोन और मैसेज का जवाब नहीं दे रही हैं. डॉ. बंसल मूलत: ग्वालियर के जगजीवन नगर की रहने वाली हैं. जनवरी 2020 में आखिरी बार वह ग्वालियर आई थीं.


फर्जी तस्वीरों के सहारे योगी को बताया दलित विरोधी

तीन अक्टूबर को शाम 6.29 बजे डॉ. राजकुमारी बंसल ने अपने फेसबुक अकाउंट से एक और पोस्ट किया है, जिसमें न्यूज चैनल की ब्रेकिंग न्यूज में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का बयान दिख रहा है, जिसमें वह कह रहे हैं कि ठाकुरों का खून गर्म है, ठाकुरों से गलतियां हो जाती हैं. इस पर डॉ. राजकुमारी बंसल ने लिखा- ‘जाति का अहंकार अपनी जाति में ही सीमित रखो, वरना तुम्हारे गर्म खून पर हमारा सदियों का खौलता खून भारी पड़ जाएगा….’ जबकि पड़ताल के बाद पाया गया था कि उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वह बयान फर्जी था.


दरअसल, बूलगढ़ी में युवती के साथ 14 सितंबर को घटना हुई थी. 19 सितंबर से उसके घर पर राजनीतिक लोगों की आवाजाही शुरू हुई जिसमें कांग्रेस नेता श्योराज जीवन वाल्मीकि और भीम आर्मी के लोग शामिल है. 27 सितंबर को भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर युवती का हाल जानने मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़ पहुंचे थे. 29 सितंबर की सुबह युवती की मौत हो गई थी.


पुलिस ने शव गांव लाकर रात ढाई बजे अंतिम संस्कार करा दिया. गांव से भीड़ हटवा दी गई. लेकिन भीम आर्मी से जुड़ी एक महिला व दो पुरुष पीड़ितों के घर रुक गए. वे खुद को रिश्तेदार बता रहे थे. अगले दिन यह लोग वापस चले गए. चार अक्टूबर को भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर ने मृतका के घर पहुंच कर सुरक्षा की मांग की. तब वही महिला और उसके दो साथी फिर मृतका के स्वजन के साथ घर में ही रुक गए. पुलिस-प्रशासन ने जब परिवार के प्रत्येक सदस्य को सुरक्षाकर्मी देने का निर्णय लिया तो पांच अक्टूबर को स्वजन की सूची बनाई गई. छह अक्टूबर को रिश्ते तलाशे गए. तभी रिश्तेदार बनकर रह रही महिला व उसके दो साथी चोरी छिपे निकल गए.


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