जेपी नड्डा: जेपी आंदोलन से लेकर भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष तक

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सीनियर नेता जेपी नड्डा (JP Nadda, Jagat Praksh Nadda) को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है. बीजेपी के मौजूदा अध्यक्ष अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद इस बात को लेकर कयासों का दौर चल रहा था कि किसे अध्यक्ष कि जिम्मेदारी मिलनी चाहिए. पिछले मोदी सरकार में नड्डा को मंत्री पद मिला था, लेकिन इस बार 57 नेताओं वाली मंत्रिपरिषद की लिस्ट में उनका नाम नहीं था. ऐसे में चर्चाएं जोरों पर थी कि बीजेपी नड्डा को लेकर कुछ बड़ा प्लान कर रही है.


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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार देर शाम जेपी नड्डा को बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की घोषणा की. नड्डा अगले छह महीने तक पार्टी अध्यक्ष की कमान संभालेंगे. इस दौरान दिल्ली, हरियाणा समेत कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. अमित शाह के साथ मिलकर ही जेपी नड्डा पार्टी का कामकाज देखेंगे.


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बीजेपी संसदीय बोर्ड में सोमवार को नड्डा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का फैसला हुआ. इस मीटिंग में राजनाथ ने कहा कि मौजूदा अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में बीजेपी ने कई चुनाव जीते हैं. लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत भी हासिल किया. लेकिन अब जबकि अमित शाह को मोदी कैबिनेट में गृह मंत्री की जिम्मेदारी दी गई है, ऐसे में उनपर अतिरिक्त बोझ नहीं डाला जाना चाहिए. पार्टी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी किसी और को मिलनी चाहिए. राजनाथ सिंह ने ऐलान किया कि बीजेपी संसदीय बोर्ड ने पूर्व स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को कार्यकारी अध्यक्ष चुना है.


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छात्र राजनीति में प्रवेश

हिमाचल के बिलासपुर जिले के रहने वाले जेपी नड्डा का जन्म 2 दिसंबर, 1960 को बिहार के पटना में हुआ. उनके पिता पटना यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर थे. जेपी आंदोलन से प्रभावित होकर नड्डा ने छात्र राजनीति में प्रवेश किया. बिहार में स्टूडेंट मूवमेंट चरम पर था. जेपी नड्डा ने 16 साल की उम्र में इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. बाद में वह छात्र राजनीति में सक्रिय हुए और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के साथ जुड़ गए. साल 1977 में पटना यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव में वह सचिव चुने गए और फिर 13 साल तक विद्यार्थी परिषद में सक्रिय रहे.


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ऐसे हुई घर वापसी

संगठन में काबिलियत को देखते हुए नड्डा को साल 1982 में हिमाचल में विद्यार्थी परिषद का प्रचारक बनाकर भेजा गया. इस दौरान उन्होंने हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी (एचपीयू) से लॉ की पढ़ाई की. तेज़ तर्रार नड्डा हिमाचल के उस दौर के छात्रों में काफी लोकप्रिय हुए. नड्डा के नेतृत्व में एचपीयू के इतिहास में पहली बार छात्र संघ चुनाव हुआ और उसमें विद्यार्थी परिषद को जीत हासिल हुई. इसके बाद नड्डा 1983-1984 में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में विद्यार्थी परिषद के पहले प्रेसीडेंट बने और साल 1986 से 1989 तक विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव रहे.


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भाजयुमो में भी अच्छा काम किया


नड्डा 1977 से लेकर 1990 तक एबीवीपी में करीब 13 साल तक विभिन्न पदों पर रहे. 1989 में भ्रष्टाचार के खिलाफ नड्डा ने राष्ट्रीय संघर्ष मोर्चा का गठन किया और केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला. इस दौरान उन्हें 45 दिन तक जेल में भी रहना पड़ा. 1989 के लोकसभा चुनाव में नड्डा को भाजपा ने युवा मोर्चा का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया. युवा मोर्चा युवा कार्यकर्ताओं को चुनकर चुनाव लड़ने के लिए आगे लाता था. 1991 में 31 साल की उम्र में नड्डा भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष बनाए गए.


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ऐसे रखा राजनीति में कदम

साल 1993 में हिमाचल में विधानसभा चुनाव हुए. यहीं से नड्डा की राजनीति में एंट्री हुई. वह बिलासपुर के विधायक के रूप में पहली बार विधानसभा पहुंचे. चुनाव में भाजपा के प्रमुख नेताओं की हार के कारण उन्हें विधानसभा में नेता विपक्ष चुना गया. 1993 से 1998, 1998 से 2003 और 2007 से 2012 तक बिलासपुर सदर से नड्डा विधायक चुने गए. 1998 से 2003 तक वह हिमाचल के स्वास्थ्य मंत्री रहे. 2008 से 2010 तक धूमल सरकार में उन्हें वन एवं पर्यावरण, विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री का जिम्मा भी सौंपा गया. अप्रैल 2012 में उन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया और कई संसदीय कमिटियों में जगह दी गई. वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी की टीम में राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता रहे.


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स्वीमिंग में चैंपियन

जेपी नड्डा एक कुशल तैराक भी हैं. नड्डा ने ऑल इंडिया जूनियर स्वीमिंग चैंपियनशिप में बिहार का नेतृत्व किया था. बता दें कि उनके पिता डॉक्टर नारायण लाल नड्डा पटना यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर थे. उनकी पत्नी मलिका नड्डा मौजूदा समय में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं.


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मोदी और शाह से रिश्ते

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ जेपी नड्डा के रिश्ते काफी अच्छे रहे हैं. मोदी जब हिमाचल के प्रभारी थे, तब से दोनों के बीच समीकरण काफी अच्छा है. दोनों अशोक रोड स्थित भाजपा मुख्यालय में बने आउट हाउस में रहते थे. जब नड्डा भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, उसके बाद अमित शाह भाजयुमो के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बनाए गए थे.


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इस चुनाव में यूपी प्रभारी थे नड्डा

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2019 में जेपी नड्डा को उत्तर प्रदेश का प्रभार सौंपा गया. उनके नेतृत्व में भाजपा ने यूपी में 62 सीटें जीतीं और मोदी को दोबारा पीएम बनाने में अहम भूमिका निभाई. हालांकि, बीते लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार भाजपा को कम सीटें मिली हैं, लेकिन इस बार सियासी समीकरण 2014 लोकसभा चुनाव से बिल्कुल अलग थे.


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