वो शख्स जिसने टुकड़ों में बंटी 562 रियासतों को जोड़कर ‘एक भारत’ बनाया

भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar vallabh bhai Patel) की 69वीं पुण्यतिथि (Death anniversary) है. 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के खेड़ा जिले में एक किसान परिवार में जन्मे सरदार पटेल भारतीय बैरिस्टर और प्रसिद्ध राजनेता थे उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात राज्य में हुआ था. उन्होंने गृहमंत्री रहते हुए आजाद भारत को एकता के सूत्र में बांधा. भारत के राजनीतिक इतिहास में सरदार पटेल के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. पटेल नवीन भारत के निर्माता थे. देश की आजादी के संघर्ष में उन्होंने जितना योगदान दिया, उससे ज्यादा योगदान उन्होंने स्वतंत्र भारत को एक करने में दिया.


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महात्मा गांधी ने दी लौह पुरुष की उपाधि

वास्तव में वे आधुनिक भारत के शिल्पी थे. जिस अदम्य उत्साह असीम शक्ति से उन्होंने नवजात गणराज्य की प्रारंभिक कठिनाइयों का समाधान किया, उसके कारण विश्व के राजनीतिक मानचित्र में उन्होंने अमिट स्थान बना लिया. भारत की स्वतंत्रता संग्राम में उनका महत्वपूर्ण योगदान था. नीतिगत दृढ़ता के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने उन्हें सरदार और लौह पुरुष की उपाधि दी थी. वल्लभ भाई पटेल ने आजाद भारत को एक विशाल राष्ट्र बनाने में उल्लेखनीय योगदान दिया.


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रियासतों का किया विलय

गृहमंत्री बनने के बाद भारतीय रियासतों के विलय की जिम्मेदारी उनको ही सौंपी गई थी. उन्होंने अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए छह सौ छोटी-बड़ी रियासतों का भारत में विलय कराया. रियासतों का विलय स्वतंत्र भारत की पहली उपलब्धि थी और निर्विवाद रूप से पटेल का इसमें विशेष योगदान था. स्वतंत्र भारत के पहले तीन साल सरदार पटेल देश के उप-प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, सूचना प्रसारण मंत्री रहे.पटेल ने भारतीय संघ में उन रियासतों का विलय किया, जो स्वयं में संप्रभुता प्राप्त थीं.


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सरदार पटेल ने आजादी से पहले ही पी.वी. मेनन के साथ मिलकर कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने के लिए कार्य आरंभ कर दिया था. पटेल और मेनन ने देसी राजाओं को बहुत समझाया कि उन्हें स्वायत्तता देना संभव नहीं होगा. इसके परिणामस्वरूप तीन रियासतें- हैदराबाद, कश्मीर और जूनागढ़ को छोड़कर शेष सभी राजवाड़ों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया.


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562 रियासतों का हुआ एकीकरण

15 अगस्त, 1947 तक हैदराबाद, कश्मीर और जूनागढ़ को छोड़कर शेष भारतीय रियासतें भारत संघ में सम्मिलित हो चुकी थीं, जो भारतीय इतिहास की एक बड़ी उपलब्धि थी. जूनागढ़ के नवाब के विरुद्ध जब वहां की प्रजा ने विद्रोह कर दिया तो वह भागकर पाकिस्तान चला गया और इस प्रकार जूनागढ़ को भी भारत में मिला लिया गया. जब हैदराबाद के निजाम ने भारत में विलय का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया तो सरदार पटेल ने वहां सेना भेजकर निजाम का आत्मसमर्पण करा लिया. निस्संदेह सरदार पटेल द्वारा यह 562 रियासतों का एकीकरण विश्व इतिहास का एक आश्चर्य था.


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लक्ष्यद्वीप समूह में भी थी अहम भूमिका

लक्षद्वीप समूह को भारत में मिलाने में भी पटेल की महत्वपूर्ण भूमिका थी. इस क्षेत्र के लोग देश की मुख्यधारा से कटे हुए थे और उन्हें भारत की आजादी की जानकारी 15 अगस्त, 1947 के कई दिनों बाद मिली. हालांकि यह क्षेत्र पाकिस्तान के नजदीक नहीं था, लेकिन पटेल को लगता था कि इस पर पाकिस्तान दावा कर सकता है. इसलिए ऐसी किसी भी स्थिति को टालने के लिए पटेल ने लक्षद्वीप में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए भारतीय नौसेना का एक जहाज भेजा. इसके कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तानी नौसेना के जहाज लक्षद्वीप के पास मंडराते देखे गए, लेकिन वहां भारत का झंडा लहराते देख उन्हें वापस लौटना पड़ा.


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