किसान बिल को लेकर सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka gandhi vadra) ने भी इस बिल को लेकर सवाल खड़े किए हैं। प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा कि पूरे देश के किसान एकजुट होकर नए कृषि कानूनों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। बिलों में एमएसपी का प्रावधान न होना, कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग और मंडी व्यवस्था का खात्मा किसानों की मेहनत पर कुल्हाड़ी चलाने जैसा है, इस अन्याय के विरूद्ध आज सारा भारत एकजुट है।
इससे पहले प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा था कि अगर ये बिल किसान हितैषी हैं तो समर्थन मूल्य MSP का जिक्र बिल में क्यों नहीं है? बिल में क्यों नहीं लिखा है कि सरकार पूरी तरह से किसानों का संरक्षण करेगी? सरकार ने किसान हितैषी मंडियों का नेटवर्क बढ़ाने की बात बिल में क्यों नहीं लिखी है? सरकार को किसानों की मांगों सुनना पड़ेगा।
वहीं, दूसरी समाजवादी पार्टी (Samajwadi party) ने संसद में पारित किए गए किसानों और श्रमिकों के हितों पर आघात करने वाले विधेयकों के खिलाफ प्रदेश भर में जिलाधिकारियों के जरिए राज्यपाल को ज्ञापन भेजे हैं। साथ ही सपा ने मांग की है कि केंद्र सरकार के कृषि और श्रम कानून प्रदेश में लागू न किया जाए।
सपा ने कृषि से जुड़े बिलों के खिलाफ किसान संगठनों के आंदोलन का समर्थन करते हुए प्रदेश भर में राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारियों को सौंपे गए। इस ज्ञापन में कहा गया है कि कृषि व श्रमिक कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो प्रदेश में खेती बर्बाद हो जाएगी, श्रमिक बंधुआ मजदूर बनकर रह जाएंगे। भाजपा सरकार किसानों का मालिकाना हक छीनना चाहती है।
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ज्ञापन के मुताबिक, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुनिश्चित करने वाली मंडियां धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगी। किसानों को फसल का एमएसपी तो दूर, उचित दाम भी नहीं मिलेगा। श्रमिक कानून में बदलाव के बाद तो श्रमिकों का शोषण करने का पूरा अधिकार फैक्टरी मालिकों को मिल जाएगा। नई व्यवस्था में 300 से ज्यादा कर्मचारियों वाली कंपनी सरकार से मंजूरी लिए बिना जब चाहे कर्मचारियों को नौकरी से निकाल बाहर कर सकती है।
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