सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को कृषि कानूनों को लेकर चल रही सुनवाई में दावा किया गया कि दिल्ली की सीमाओं पर चले रहे आंदोलन में खालिस्तान समर्थक आंतकी संगठनों की घुसपैठ हो चुकी है. यह संगठन आंदोलन के लिए फंडिंग भी कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्र से इस पर हलफनामा पेश करने को कहा है. सरकारी वकील ने दावा किया कि यह खालिस्तानी समर्थक माहौल खराब करने की कोशिश कर सकते हैं. वहीं इसी बीच प्रतिबंधित आतंकी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ (Sikh For Justice) ने ऐलान किया कि जो भी 26 जनवरी को इंडिया गेट पर खालिस्तानी झंडा (Khalistani Flag) फहराएगा उसे ढाई लाख यूएस डॉलर का ईनाम दिया जाएगा.
दावा किया जा रहा है कि यह संगठन पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ की शह पर खालिस्तान समर्थक संगठन देशभर में दिल्ली दंगे से भी बड़े पैमाने पर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहा हैं. आंदोलन को आइएसआइ व खालिस्तान समर्थक आतंकी संगठनों द्वारा हाईजैक कर लिए जाने के इनपुट मिलने के बाद दिल्ली पुलिस व सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं. दिल्ली पुलिस के इंटेलीजेंस व आइबी (इंटेलीजेंस ब्यूरो) भी उक्त संभावनाओं के मद्देनजर जांच में जुटी हुई है. इंटेलीजेंस सूत्रों का कहना है कि पहले इस आंदोलन को पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों के अमीर किसानों व आढ़तियों ने शुरू किया. धीरे-धीरे उन्होंने गरीब किसानों को भी अपने आंदोलन से जोड़ लिया.
इंटेलीजेंस का कहना है कि दिल्ली दंगे की भी एक महीने पहले से साजिश रचनी शुरू हो गई थी. वामपंथियों की विचार धारा से जुड़े नेताओं व चंद राजनीतिक पार्टियों ने समुदाय विशेष की छात्राओं व आम लोगों को प्रदर्शनों के दौरान उकसाने का काम शुरू कर दिया था. इसके लिए फंडिंग की गई. दंगाइयों को पैसे बांटे गए.
‘सिख फॉर जस्टिस’ (Sikh For Justice) के लिए काम करने वाले दो युवकों ने पुलिस के सामने पूछताछ में खुलासा किया है कि उन्हें अमेरिका में रहने वाले युवक से हथियार खरीदने के पैसे मिले थे. हरियाणा पुलिस ने 23 दिसंबर को करनाल के नजदीक इन दो युवकों को हथियार के साथ गिरफ्तार किया था. पुलिस ने बताया कि पूछताछ के दौरान उन्होंने खुलासा किया है कि वे अमेरिका में रहने वाले गुरमीत सिंह के संपर्क में थे.
मनीग्राम के जरिए भेजे गए पैसे
हरियाणा पुलिस के मुताबिक, “आरोपी युवकों ने कबूल किया है कि गुरमीत सिंह ने उनके खाते में मनीग्राम के जरिये लाखों रुपये भेजे थे. उन्होंने बताया कि गुरमीत ने उन्हें हथियार खरीदकर कथित रूप से सिख धर्म के खिलाफ बोलने वाले दो युवकों की हत्या करने को कहा था.” दोनों युवकों को पुलिस ने उस वक्त गिरफ्तार किया था जब दोनों हथियार खरीदकर लौट रहे थे.
चोरी छिपे सर्कुलेट किए गए खालिस्तानी सोच वाले वीडियो
बताया जा रहा है कि अन्नदाता आंदोलन में खालिस्तानी गैंग ने बहुत खुफिया तरीके से घुसपैठ की. दुनिया को दिखाने के लिये पहले प्रदर्शनकारी किसानों को मदद की पेशकश की गई. फिर खालिस्तानी सोच को उकसाने वाले वीडियोज चोरी-छिपे सर्कुलेट किये गए. फिर बागी तेवर वाले ऐसे चेहरों की पहचान की गई, जिन्हें साजिश में चारे की तरह इस्तेमाल किया जा सकता था. फिर धीरे-धीरे किसान आंदोलन में इसकी झलक भी मिलने लगी. किसान आंदोलन से जुड़े वीडियो में अगर आप खंगालें तो उसमें खालिस्तान का समर्थन करते बहुत से चेहरे मिलेंगे.
भिंडरवाले का किया गया महिमामंडन
हद तो तब हो गई, जब 80 के दशक में अलगाववाद का जहर बोने वाले जनरैल सिंह भिंडरवाले (Jarnail Singh Bhindranwale) की एंट्री किसान आंदोलन के मंच पर हो गई. सात जनवरी को किसान आंदोलन में भिंडरांवाले और दूसरे खालिस्तानी आतंकियों को शहीद बताकर उनका महिमामंडन किया गया.खालिस्तानी सोच से जुड़ी किताबें बांटी गई. और उसी कार्यक्रम में सरकार और सिस्टम को खुली चुनौती दी गई. इसके पहले से ही किसान आंदोलन में ऐसे टैटू सेंटर चल रहे थे, जिसमें प्रदर्शनकारियों के बदन पर मुफ्त में भिंडरांवाले का टैटू बनाया जा रहा था.
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