विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने शनिवार को यूक्रेन के अपने समकक्ष दिमित्रो कुलेबा (Dmytro Kuleba) के साथ बैठक की। इस दौरान दोनों नेताओं ने क्षेत्र में हालिया घटनाक्रम, परमाणु चिंताओं तथा यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध को खत्म करने के तरीकों पर चर्चा की।
जयशंकर ने यहां कंबोडिया की राजधानी में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन से इतर कुलेबा से मुलाकात की। उन्होंने ट्वीट किया ‘यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा से मिलकर खुशी हुई। हमारी चर्चाओं में संघर्ष में हालिया घटनाक्रम, अनाज निर्यात की पहल और परमाणु चिंताएं शामिल थी।’
Pleasure to meet FM @DmytroKuleba of Ukraine.
Our discussions covered recent developments in the conflict, the grain initiative and nuclear concerns. pic.twitter.com/dPIjKfhBIh
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) November 12, 2022
जयशंकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के साथ यात्रा पर हैं, जो यहां आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 17वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। यूक्रेन के विदेश कुलेबा ने ट्विटर पर कहा कि उन्होंने द्विपक्षीय सहयोग और यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध को समाप्त करने के तरीकों पर चर्चा की।
कुलेबा ने ट्वीट कर कहा कि मेरे भारतीय समकक्ष जयशंकर और मैं द्विपक्षीय सहयोग और यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध को समाप्त करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए मिले। मैंने जोर दिया कि रूस को तुरंत घातक हमलों को रोकना चाहिए, यूक्रेन से सभी सैनिकों को वापस बुलाना चाहिए, और शांति के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। हमने वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर भी ध्यान केंद्रित किया।
भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की है और लगातार कहता रहा है कि कूटनीति तथा बातचीत के माध्यम से संकट का समाधान किया जाना चाहिए। फरवरी में यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ-साथ यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से कई बार बात की।
भारत ने यह भी कहा है कि काला सागर के जरिए अनाज निर्यात की पहल के निलंबन से खाद्य सुरक्षा, और दुनिया के सामने विशेष रूप से दुनिया के दक्षिणी हिस्से में ईंधन और उर्वरक आपूर्ति चुनौतियों का सामना करने की आशंका है। इस पहल के परिणामस्वरूप यूक्रेन से 90 लाख टन से अधिक अनाज और अन्य खाद्य उत्पादों का निर्यात हुआ।
इस वर्ष आसियान-भारत संबंधों की 30वीं वर्षगांठ है और इसे आसियान-भारत मैत्री वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन (आसियान) के 10 सदस्य देश हैं जिनमें ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमा, फिलीपीन, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं।
( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )