भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की प्रमुख माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) ने गुरुवार को सहारा समूह के संस्थापक सुब्रत राय (Subrata Roy) के निधन पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सुब्रत राय के निधन के बाद भी सहारा का मामला पूंजी बाजार नियामक के समक्ष जारी रहेगा।
सेबी के पास 25 हजार करोड़ की धनराशि
उद्योग मंडल फिक्की के एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बातचीत में बुच ने कहा कि सेबी के लिए यह मामला एक इकाई के आचरण से जुड़ा है और यह जारी रहेगा, भले ही कोई व्यक्ति जीवित हो या नहीं। वहीं, जब सहारा समूह के अवितरित धन को निवेशकों को लौटाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के तहत एक समिति है और हम सभी कार्रवाई उसी समिति के तहत करते हैं। विज्ञापनों के कई दौरान के बाद जिसके पास (सहारा में) निवेश के सबूत थे, उन्हें अपना पैसा मिल गया।
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वहीं, दूसरी तरफ सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय के निधन के बाद पूंजी बाजार नियामक सेबी के खाते में पड़ी 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की गैरवितरित धनराशि भी एक बार फिर से चर्चा में है। रॉय समूह की कंपनियों के संबंध में कई विनियामक तथा कानूनी लड़ाइयों का सामना कर रहे थे। उन पर पोंजी योजनाओं में नियमों को दरकिनार करने का भी आरोप था। हालांकि सहारा समूह ने अपने ऊपर लगे आरोपों को हमेशा खारिज किया।
पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 2011 में सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) को वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय बांड (ओएफसीडी) के रूप में पहचाने जाने वाले कुछ बांडों के जरिए करीब तीन करोड़ निवेशकों से जुटाए गए धन को वापस करने का आदेश दिया था।
नियामक ने आदेश में कहा था कि दोनों कंपनियों ने उसके नियमों और विनियमों का उल्लंघन करके धन जुटाया था। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उच्चतम न्यायालय ने 31 अगस्त 2012 को सेबी के निर्देशों को बरकरार रखा और दोनों कंपनियों को निवेशकों से एकत्र धन 15 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करने को कहा था। इसके बाद सहारा को निवेशकों को धन लौटाने के लिए सेबी के पास अनुमानित 24,000 करोड़ रुपये जमा करने को कहा गया। हालांकि समूह लगातार यह कहता रहा कि उसने पहले ही 95 प्रतिशत से अधिक निवेशकों को प्रत्यक्ष रूप से भुगतान कर दिया है।