रोजाना गायत्री मंत्र का जाप पहुंचाता है अद्भुत लाभ, इस समय करें उच्चारण

सोशल: आध्यात्म का हमारे जीवन में एक अलग ही महत्त्व होता है, यदि आप निरंतर आध्यात्मिक प्रक्रिया को अपने जीवन में अपनायेंगे तो आपको इसके अनोखे लाभ पता चलेंगे. इसके द्वारा आप अपने जीवन में कई तरह के बदलाव ला सकते हैं, मन की शांति और शारीरिक प्रबलता के लिए आध्यात्म बहुत लाभकारी माना जाता है. इन सब में सबसे महत्वपूर्ण है किसी मंत्र का जाप अथवा पूजा करना. अगर आप गायत्री मंत्र का जाप निरंतर करते हैं, तो इससे आपको बहुत लाभ मिलेगा. अगर आपको कार्य में सफलता नहीं मिलती, आमदनी कम है और व्यय अधिक, और मन बेचैन रहता है तो आपको भी गायत्री मंत्र की आवश्यकता है. शास्त्रों में मंत्रों को बहुत शक्तिशाली और चमत्कारी बताया गया है. सबसे ज्यादा प्रभावी मंत्रों में से एक मंत्र है गायत्री मंत्र. इसके जप से बहुत जल्दी शुभ फल प्राप्त हो सकते हैं.


Image result for gayatri mantra

गायत्री मंत्र जप का समय :


गायत्री मंत्र के जप का पहला समय है, सुबह का. सूर्योदय से थोड़ी देर पहले मंत्र जप शुरू किया जाना चाहिए. जप सूर्योदय के बाद तक करना चाहिए.

मंत्र जप के लिए दूसरा समय है दोपहर का. दोपहर में भी इस मंत्र का जप किया जाता है.

इसके बाद तीसरा समय है शाम को सूर्यास्त से कुछ देर पहले. सूर्यास्त से पहले मंत्र जप शुरू करके सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक जप करना चाहिए.
यदि संध्याकाल के अतिरिक्त गायत्री मंत्र का जप करना हो तो मौन रहकर या मानसिक रूप से करना चाहिए. मंत्र जप अधिक तेज आवाज में नहीं करना चाहिए.


Image result for gayatri mantra

गायत्री मंत्र :


ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।।


गायत्री मंत्र का अर्थ : सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परामात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं, परमात्मा का वह तेज हमारी बुद्धि को सद्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें.


गायत्री मंत्र जप की विधि:


इस मंत्र के जप करने के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करना श्रेष्ठ होता है. जप से पहले स्नान आदि कर्मों से खुद को पवित्र कर लेना चाहिए. मंत्र जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए. घर के मंदिर में या किसी पवित्र स्थान पर गायत्री माता का ध्यान करते हुए मंत्र का जप करना चाहिए.


गायत्री मंत्र जप के फायदे:


उत्साह एवं सकारात्मकता बढ़ती है।

त्वचा में चमक आती है.

बुराइयों से मन दूर होता है.

धर्म और सेवा कार्यों में मन लगता है.

पूर्वाभास होने लगता है.

आशीर्वाद देने की शक्ति बढ़ती है.

स्वप्न सिद्धि प्राप्त होती है.

क्रोध शांत होता है.


Also Read:जाने क्या है देवोत्थान एकादशी, तुलसी विवाह की कथा, श्री हरि विष्णु 4 माह की योग निंद्रा के बाद संभालते हैं कार्यभार


Also Read: बैकुंठ चतुर्दशी की पूजा इस कथा के बिन है अधूरी, जानें पूरा व्रत, मुहूर्त और विधि


( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )