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जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध के विरोध में उतरा AMU का छात्रसंघ, आतंकी कनेक्शन के शक में लगा है बैन

जम्मू-कश्मीर के जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाने के विरोध पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) का छात्रसंघ उतर आया है. छात्रसंघ के अध्यक्ष मो. सलमान इम्तियाज ने केंद्र सरकार से इस मसले पर पुनर्विचार करने की याचिका दायर की है. गृह मंत्रालय ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी के बाद जम्मू-कश्मीर में काम कर रहे संगठन जमात-ए-इस्लामी पर 5 साल तक के लिए प्रतिबंध लगा दिया है. इसी के चलते छात्रसंघ के अध्यक्ष मो. सलमान ने भाजपा के नेताओं को निशाने पर लिया है. जिससे शहर में फिर से राजनीति गरमाने की आशंका जताई जा रही है. बता दें जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले के बाद केंद्र की मोदी सरकार आतंकवाद पर नकेल कसने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. केंद्र सरकार के द्वारा एक के बाद एक अहम और सख्त कदम उठाए जा रहे हैं. इसी क्रम के चलते सरकार ने यह फैसला लिया है.


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जमात न तो अंडरग्राउंड संगठन और न ही आतंकी संगठन: सलमान

बीते सोमवार को छात्रसंघ अध्यक्ष मो. सलमान इम्तियाज की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि इस ‘सामाजिक-धार्मिक-राजनीतिक’ संगठन पर लगा प्रतिबंध एक झटके सरीखा है. वहीं, अलीगढ़ के भाजपा सांसद सतीश गौतम ने कहा कि AMU ‘देश विरोधी गतिविधियों का केंद्र’ बन गया है. मो. सलमान इम्तियाज के अनुसार यह संगठन संवैधानिक और लोकतांत्रिक तरीके से चल रहा है. सलमान के बयान में कहा गया- ‘जमात न तो अंडरग्राउंड संगठन और न ही आतंकी संगठन. यह राज्य के चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा रहा है.1989 में चुनाव में बड़े पैमाने पर हुई धांधलियों के बाद जमात ने चुनावी प्रक्रिया से खुद को अलग कर लिया’.


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हिंदुत्व की राजनीति करती है भाजपा

छात्रसंघ अध्यक्ष मो. सलमान इम्तियाज के बयान में भाजपा पर ‘हिंदुत्व की राजनीति’ करने का भी आरोप लगाया गया है. सलमान ने कहा- ‘बीजेपी का शासन खत्म ही होने वाला है और चुनाव के लिए अब कुछ ही हफ्ते बचे हैं. ऐसे में जमात पर प्रतिबंध का फैसले का गैरकानूनी गतिविधियों से कोई सबंध नहीं है. यह कट्टर हिंदुत्व की राजनीति से जुड़ा हुआ है. कश्मीर में धार्मिक नेतृत्व, सिविल सोसायटी से लेकर व्यापारियों तक ने इस प्रतिबंध को राजनीति से प्रेरित बताया है’. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी छात्रसंघ ने केंद्र सरकार से मांग की कि वह जमात पर लगाए प्रतिबंध की वजह से लग रहे आरोपों पर सफाई दे.


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जमात-ए-इस्लामी का आतंकवाद से कोई संबंध नहीं: मो. सलमान

सलमान इम्तियाज ने कहा कि सरकार को प्रतिबंध का मूल्यांकन करना चाहिए. उन्होंने कहा- ‘संकट काल में जमात की निभाई गई भूमिका पर सरकार को विचार करना चाहिए. वर्ष 2014 में कश्मीर में आई बाढ़ के वक्त, संगठन ने मदद करने की दिशा में शानदार काम किया. संगठन ने राज्य में वर्ष 2005 में आई बाढ़ के दौरान भी शानदार काम किया. यह संगठन डेमोक्रेसी में भरोसा करता है और उसने साफ किया है कि उसका आतंकवाद से कोई संबंध नहीं है. हमें कश्मीर के लिए कठोर नहीं, एक समावेशी नीति की आवश्कयता है.


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प्रतिबंध हटाने में शामिल छात्रों पर हो कार्रवाई

सांसद सतीश गौतम ने कहा- ‘एएमयू छात्र संघ ने बैन हटाने की मांग की है. हमारे सैनिक सीमा पर शहीद हो रहे हैं और एएमयू के छात्र संगठन पर लगे बैन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. AMU छात्रों की मानसिकता दिन प्रतिदिन सामने आ रही है. वे भारत माता के खिलाफ हैं और नियमित राष्ट्र विरोधी नारेबाजी करते हैं. मैं इस बारे में यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर से बात करूंगा और इसमें शामिल छात्रों पर कार्रवाई के लिए कहूंगा’. बता दें उन्होंने एसएसपी से मुलाकात कर छात्रसंघ अध्यक्ष सलमान के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. एसएसपी ने AMU वीसी एवं प्रॉक्टर को पत्र लिखने का आश्वासन दिया है. सांसद सतीश गौतम, भाजपा ब्रज क्षेत्र के उपाध्यक्ष डॉ. मानवेंद्र प्रताप सिंह एवं भाजपा के जिला प्रवक्ता डॉ. निशित शर्मा पहले ही विरोध कर चुके हैं. भाजपा नेताओं की कड़ी टिप्पणी से AMU के  छात्र नाराज हैं.


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इन वजहों से लगा जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध

जमात-ए-इस्लामी अपनी अलगाववादी विचारधारा और पाकिस्तानी एजेंडे के तहत कश्मीर घाटी में काम करता है. जम्मू कश्मीर में अलगाववादी विचारधारा एवं आतंकवादी मानसिकता के प्रसार के लिए प्रमुख जिम्मेदार संगठन है. गृह मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जमात-ए-इस्लामी आतंकियों को ट्रेनिंग देना, उन्हें पैसे की फंडिंग करना, अपने पास शरण देना और लॉजिस्टिक मुहैया करना आदि काम कर रहा था. इसे जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर का मिलिटेंट विंग माना जाता है. वहीं, इसे आतंकवादी घटनाओं के लिए जिम्मेदार माना जाता है. ये संगठन अलगाववादी, आतंकवादी तत्वों का वैचारिक समर्थन करता है. उनकी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में भी भरपूर मदद देता रहा है. यह भी जानकारी मिली है कि वो भारत से अलग धर्म पर आधारित एक स्वतंत्र इस्लामिक राज्य की स्थापना के लिए प्रयास कर रहा है. इन हरकतों की वजहों से जमात-ए-इस्लामी पर बैन लगाने का फैसला किया गया है.


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