अनोखा मामला: अपने मालिकाना हक को लेकर कोर्ट पहुंची गाय ने खुद दी गवाही!

मामला राजस्थान के जोधपुर का है. जहां गाय ने खुद ही गवाही देते हुए अपना असली मालिक चुन लिया. बीते शनिवार को गाय के मालिकाना हक को लेकर चल रहे विवाद में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. कोर्ट ने सिपाही ओमप्रकाश विश्नोई को गाय का असली मालिक मानते हुए उनके पक्ष में फैसला दिया है. गाय के मालिकाना हक का फैसला करने के लिए कई तरह के तरीके इस्तेमाल किए गए. लेकिन अंत में खुद गाय ने गवाही दे दी कि उसका मालिक कौन है! गाय की गवाही के बाद कोर्ट ने मालिक के पक्ष में फैसला सुना दिया.


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दरअसल, जोधपुर के मंडोर थाना इलाके के निवासी सिपाही ओमप्रकाश विश्नोई और शिक्षक श्यामलाल के बीच एक गाय को लेकर विवाद चल रहा था. एक तरफ सिपाही इस गाय को अपनी बता रहा था. दूसरी तरफ शिक्षक ने सिपाही पर गाय कब्‍जाने का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ मंडोर थाने में प्राथमिकी दर्ज करवा दी. पहले थाना स्तर पर मामले को सुलझाने के प्रयास किया गया. लेकिन बात नहीं तो प्रकरण कोर्ट पहुंचा.


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कोर्ट में दोनों से गाय के स्वभाव के बारे में पूछा गया. शिक्षक श्यामलाल ने कहा कि बछड़ा होने के बाद उसकी गाय खुद का दूध खुद ही पीती है. इस पर गाय को एक गौशाला में रखवा दिया गया. जब उसने एक बछड़े को जन्म दिया, तब गाय को 50 घंटे तक सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में रखकर रिकॉर्डिंग की गई ताकि यह पता लगाया जा सके कि गाय खुद का दूध खुद पीती है या नहीं? लेकिन, यह मशक्कत काम नहीं आई और सीसीटीवी कैमरे से यह पता नहीं चल पाया कि गाय खुद का दूध पीती है या नहीं.


खुला छोड़े जाने के बाद सिपाही ओमप्रकाश के मकान के बाहर खड़ी गाय

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उसके बाद मामले की सुनवाई महानगर मजिस्ट्रेट संख्या-3 में हुई. जहां कई गवाहों की गवाही दर्ज कराई गई. एक बार गाय को कोर्ट में भौतिक सत्यापन के लिए पेश किया गया. खुद मजिस्ट्रेट ने अपने कक्ष के बाहर आकर गाय का सत्यापन किया. इसके बाद कोर्ट ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत को अपनाते हुए यह फैसला लिया कि गाय को दोनों दावेदारों के घर के बीच खड़ी कर दी जाए. गाय जिसके भी घर जाएगी वही उसका मालिक होगा.


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इस पूरी प्रक्रिया के लिए कोर्ट ने एक अधिकारी को नियुक्त किया. गाय को ले जाकर दोनों दावेदारों के घर के बीच खड़ा कर दिया गया. गाय सिपाही ओमप्रकाश के घर चली गई. उसके बाद शनिवार को कोर्ट ने ओमप्रकाश के पक्ष में फैसला दे दिया. सिपाही ओमप्रकाश इस फैसले से बहुत खुश है. वहीं, शिक्षक श्यामलाल का कहना है कि वह इस आदेश को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे. बता दें इस पूरी कार्यवाही की वीडियोग्राफी करवाई गई.


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