मुस्लिम समुदाय के विरोध प्रदर्शन में जमकर लगे ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे, बोले- ‘अपनी हद में रहे इमरान खान’

बुलंदशहर हिंसा को लेकर बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के द्वारा दिए गए बयान पर टिप्पणी करना पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को बहुत महंगा पड़ रहा है. भारत की राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर आज मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ना सिर्फ ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे लगाए, बल्कि इमरान खान को अपनी हद में रहने की नसीहत भी दे डाली.

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रज़ा अकादमी के प्रवक्ता ने इमरान खान को लिया आड़े हाथ

पाकिस्तान को आड़े हाथ लेते हुए रज़ा अकादमी के प्रवक्ता अब्दुर्रहमान ज़ियाई ने इमरान खान को पहले अपने देश के अल्पसंख्यक समाज को इंसाफ दिलाने की नसीहत दी. अब्दुर्रहमान ने कहा- ‘पाकिस्तान में अल्पसंख्यको के हालात बद से बदतर है. उन्हें इंसाफ और हक़ देने के बजाए इमरान खान भारत के खिलाफ बदज़ुबानी करते है. जिसको बर्दाश्त नहीं किया जाएगा’. बता दें कि इससे पहले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी पाक़िस्तान को फटकार लगाते हुए भारत के मुसलमानों के मामले में दखल ना देने की हिदायत दी थी. ये मामला नसीरुद्दीन शाह के बयान के बाद सुर्खियों में आया. जिस पर टिप्पणी करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने भारत के मुसलमानों को लेकर बयान दिया था. जिसके बाद से ही इमरान खान भारतीयों के निशाने पर है.

 

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हाथों मेंपाकिस्तान मुर्दाबादलिखी हुई तख्तियां लेकर किया गुस्से का इज़हार

मुंबई की रज़ा अकादमी की तरफ से आए इन मुसलमानों ने पाकिस्तान सरकार पर इल्ज़ाम लगाया कि पाक़िस्तान ने अपनी जुल्म व ज्यादती के दम पर सूफी पंथ के मानने वाले करीब 500 से ज्यादा मुस्लिम उलेमाओं को बंदी बनाकर रखा हुआ है और उन्हें बेइंतहा परेशान किया जा रहा है. पाकिस्तान के खिलाफ गुस्से का इज़हार करने वाले इन लोगों ने अपने हाथों में ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ लिखी हुई तख्तियां ली हुई थी और वो लगातार पाकिस्तान पर अल्पसंख्यक समाज के साथ ज़ुल्म करने का इल्जाम लगा रहे थे. इस मौके पर रज़ा अकादमी के उपाध्यक्ष अमानुल्लाह रज़ा ने पाकिस्तान को ज़ालिम देश करार देते हुए सूफी पंथ के सभी उलेमाओं को छोड़ने की मांग की. अमानुल्लाह ने कहा कि पाकिस्तान को हिंदुस्तान के मुसलमानों के मामलों में दखल देने की जरूरत नहीं है. भारत के मुसलमान अमन से रहते आए हैं और वो अपने तमाम मसले आपसी भाईचारे से सुलझा सकते हैं.

 

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