1 दिसम्बर को ही क्यों मनाया जाता है World AIDS Day ?, क्या है इस बार की थीम

एड्स वर्तमान युग की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। एड्स दिवस मनाने का उद्देश्य एचआईवी संक्रमण की वजह से होने वाली महामारी एड्स के बारे में हर उम्र के लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है। आज के दिन यानी कि एक दिसम्बर को पूरे विश्व में एड्स दिवस मनाया जा रहा है। WHO ने सबसे पहले विश्व एड्स दिवस को वैश्विक स्तर पर मनाने की शुरुआत अगस्त 1987 में की थी।


क्यों मनाया जाता है एड्स दिवस

जानकारी के मुताबिक, विश्व एड्स दिवस प्रत्येक वर्ष 1 दिसंबर को मनाया जाता है। 1987 के बाद से, इस दिन एचआईवी संक्रमण की वजह से एड्स के सन्दर्भ में लोगों को जागरूक बनाने के लिए मनाया जाता है, साथ ही इस बीमारी की वजह से मृत्यु को प्राप्त लोगों को याद करने के लिए भी इस दिवस को मनाया जाता है।


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जेम्स डब्ल्यू बुन और थॉमस नेटर ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होनें अगस्त 1987 में विश्व एड्स दिवस मनाया था। ये लोग विश्व स्वास्थ्य संगठन में एड्स पर ग्लोबल कार्यक्रम (डब्ल्यूएचओ) के लिए अधिकारियों के रूप में जिनेवा, स्विट्जरलैंड में नियुक्त थे। इस दिवस पर दुनिया भर में सरकार और स्वास्थ्य की देखभाल करने वाले पेशेवरों, गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के द्वारा एड्स के कारण, रोकथाम, नियंत्रण और तथ्यों पर दुनिया को शिक्षित करने का वृहद् कार्यक्रम चलाया जाता है।


बता दें विश्व एड्स दिवस मनाने का उद्देश्य एचआईवी (HIV) संक्रमण की वजह से होने वाली महामारी एड्स के बारे में हर उम्र के लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है। एड्स आज के आधुनिक समय की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। UNICEF की रिपोर्ट की मानें तो अब तक 36.9 मिलियन से ज्यादा लोग HIV के शिकार हो चुके हैं जबकि भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आकड़ों के अनुसार भारत में एचआईवी (HIV) के रोगियों की संख्या लगभग 2.7 मिलियन के आसपास है।


वर्ल्ड एड्स डे 2020 की थीम

Hiv.org की वेबसाइट के अनुसार, विश्व एड्स दिवस के लिए इस वर्ष की थीम ‘एंडिंग द एचआईवी / एड्स महामारी: लचीलापन और प्रभाव है।’ वर्ष 2008 के बाद, प्रत्येक वर्ष की थीम को विश्व एड्स अभियान (डब्ल्यूएसी) की ग्लोबल स्टीयरिंग कमेटी द्वारा चुना जाता है।


हर रोज दिल्ली में आते हैं इतने केस

दिल्ली स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में सालाना 87,500 एचआईवी के नए केस सामने आते हैं। वहीं एचआईवी के चलते एक साल में करीब 69,000 लोग को अपनी जान गंवा देते हैं। वहीं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हर साल 6500 से 7 हजार के बीच नए केस आते हैं। इनमें से दिल्ली के रहने वाले औसतन 3 हजार मरीज होते हैं। बाकी वे लोग हैं, जो दिल्ली से बाहर के हैं।


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