आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti) की 125वीं जयंती है. आजादी के नायक रहे नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत के 75 साल से ज्यादा बीतने के बाद भी आज भी सवालों के घेरे में है. नेताजी की रहस्यमय मौत, प्लेन क्रैश पर शक के साथ-साथ एक बड़ा सवाल यह भी है कि अगर जापान में रखी अस्थियां वाकई नेताजी की हैं तो उन्हें अबतक भारत क्यों नहीं लाया गया?.
18 अगस्त, 1945 के बाद से सुभाष चंद्र बोस का जीवन और मृत्यु आज तक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है. 18 अगस्त, 1945 को उनका जापानी विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जो ओवरलोड था. यह दुर्घटना जापान अधिकृत फोर्मोसा (वर्तमान ताइवान) में हुई थी. उस हादसे में नेताजी बच गए थे या मारे गए थे, इसके बारे में आज तक कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पाया है.
नेताजी के ज्यादातर विमान दुर्घटना वाली थ्योरी को तथ्यहीन मानकर स्वीकार नहीं करते हैं. हादसे के बाद से ही सुभाष चंद्र बोस के निधन को लेकर तरह-तरह की थ्योरी सामने आईं और लंबे समय तक जारी रहीं. आजादी के बाद भारत सरकार नेताजी की मृत्यु की जांच के लिए तीन बार आयोग का गठन कर चुकी है. जिनमें से दो ने आयोग तो पुष्टि कर चुकी है कि नेताजी की मृत्यु विमान दुर्घटना में हुई थी, जबकि जापान सरकार ने दावा किया था कि उस दिन फोर्मोसा में कोई विमान हादसा ही नहीं हुआ था.
सुभाष चंद्र बोस की मौत के संबंध में उनकी प्रपौत्रि राजश्री चौधरी नेहरू और गांधी परिवार पर आरोप लगा चुकीं हैं. उनका कहना है कि नेताजी की मौत का रहस्य उलझाने में नेहरू और गांधी परिवार ने अंग्रेजों के साथ मिलकर कूटनीतिक साजिश रची थी. नेहरू और गांधी परिवार को सत्ता का लालच था इसलिए उन्होंने अंग्रेजों के साथ मिलकर यह षड्यंत्र रचा था. यदि कांग्रेस सरकार की मंशा साफ होती तो उनके गायब होने के रहस्य से निश्चित तौर पर पर्दा उठता. इतिहास में उन्हें मृत लिखवाया गया है.
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