अमेरिका के दबाव (US warning )को सिरे से खारिज करते हुए निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को ये साफ कर दिया कि भारत और रूस के बीच S-400 मिसाइल सिस्टम का सौदा जरूर होगा. भारत ने रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को लेने की बातचीत कर रहा है और ये अमेरिका को कतई रास नहीं आ रहा.
भारत अपनी सीमा की रक्षा के लिए लागातार सेना को मजबूत कर रहा है. एयर डिफ़ेंस सिस्टम को लेकर काफी लंब समय से रूस के साथ बातचीत जारी है. अमेरिका ने CAATSA नाम का एक क़ानून पास किया है जिसके तहत रूस के साथ सैन्य संबंध रखेंगे वाले देशों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा. लेकिन अमेरिका की इस धमकी पर भारत ने दो टूक शब्दों में साफ़ कर दिया कि रूस के साथ S-400 का सौदा ज़रूर होगा.
खुद रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ किया कि इस मिसाइल सिस्टम को लेकर रूस के लंबे समय से बातचीत चल रही है और सौदा अपने आखिरी चरण पर पहुंच चुका है. रक्षा मंत्री मे ये भी साफ़ किया की भारत ने अपने इस फैसले को अमेरिका के सामने जहिर भी किया है. कुछ दिन पहले अमेरिकी कांग्रेस का एक दल भारत दौरे पर आया था. जब रक्षामंत्री से पूछा गया कि क्या ये CAATSA भारत पर लागू होगा तो उन्होंने कहा कि ये कानून अमेरिका का है न कि संयुक्त राष्ट्र संघ का.
भारत, रूस से सर्फेस टू एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम S 400 खरीद रहा है, जिसकी मारक क्षमता 400 किलोमीटर की है और ये दुश्मन के मिसाइल या विमानों को अचूक निशाना साधकर खत्म कर सकता है. हाल ही में दोनो देशों के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्रियों के बीच होने वाली 2+2 बातचीतकी तारीख तय होने के बावजूद पोस्टपोंड हो गई थी, तब से कयास लगाए जा रहे थे कि रूस के साथ होने वाले सौदे के चलते ऐसा हुआ है.
हालांकि रक्षामंत्री ने इस पर कोई खास टिप्पणी नहीं की लेकिन ये जरूर बताया की अमेरिकी दल के उत्तर कोरिया दौरे के मद्देनजर ये बैठक टली थी. लेकिन सितंबर के पहले हफ्ते में बैठक की तारीख तय हो सकती है. भारत और रूस के बीच काफी पुराने और मजबूत सैन्य रिश्ते हैं, जो अब भी वैसे ही बरकरार हैं.

















































