2015 के लाभ पद मामले में चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के विधायको को आयोग घोषित किया। सूत्रों के मुताबिक आयोग ने 20 विधायकें की सदस्यता रद्द करने की सिफारश की है। आयोग ने अपने फैसले को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया है, अब राष्ट्रपति इस पर अपना अंतिम फैसला सुनाएंगे।
अगर राष्ट्रपति आयोग की सिफारिश पर मुहर लगा देते हैं और विधायकों को अयोग्य घोषित करने का आदेश जारी करते हैं, तो संभावना है कि दिल्ली में इन 20 सीटों पर दोबारा चुनाव हो सकते हैं। हालांकि 20 सदस्यों की सदस्यता जाने के बाद भी केजरीवाल सरकार बची रहेगी क्योंकि आप 67 सीटों के बहुमत के साथ सत्ता में आई है।
आम आदमी पार्टी के इन विधायकों पर है खतरा
1. प्रवीण कुमार
2. शरद कुमार
3. आदर्श शास्त्री
4. मदन लाल
5. चरण गोयल
6. सरिता सिंह
7. नरेश यादव
8. जरनैल सिंह
9. राजेश गुप्ता
10. अलका लांबा
11. नितिन त्यागी
12. संजीव झा
13. कैलाश गहलोत
14. विजेंद्र गर्ग
15. राजेश ऋषि
16. अनिल कुमार वाजपेयी
17. सोमदत्त
18. सुलबीर सिंह डाला
19. मनोज कुमार
20. अवतार सिंह
जाने क्या है पूरा मामला –
दिल्ली सरकार ने मार्च, 2015 में आप के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। इसको लेकर भाजपा और कांग्रेस ने सवाल उठाए थे। प्रशांत पटेल नाम के शख्स ने राष्ट्रपति के पास याचिका लगाकर आरोप लगाया था कि ये 21 विधायक लाभ के पद पर हैं, इसलिए इनकी सदस्यता रद्द होनी चाहिए। दिल्ली सरकार ने दिल्ली असेंबली रिमूवल ऑफ डिस्क्वॉलिफिकेशन ऐक्ट-1997 में संशोधन किया था। इस विधेयक का मकसद संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से छूट दिलाना था, जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नामंजूर कर दिया था। दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने भी विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के फैसले का विरोध किया था और दिल्ली हाईकोर्ट में आपत्ति जताई थी। केद्र का कहना था कि दिल्ली में सिर्फ एक संसदीय सचिव हो सकता है, जो मुख्यमंत्री के पास होगा। इन विधायकों को यह पद देने का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है।