कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का माज़क आसानी से बन जाता है। कभी वो ऐसा कुछ बोल जाते हैं जो वाकई अजीब होता है काफ़ी पहले आप सब सुन चुके हैं आलू की फैक्ट्री वगैरह। कल फ़िर उन्होंने ज्ञान का पिटारा खोला और सोशल मीडिया पर उनका जमकर मज़ाक उड़ाया गया। राहुल गाँधी ने सोमवार को दिल्ली में ओबीसी सम्मेलन में कोका कोला और मैक्डोनाल्ड कंपनियों का हवाला क्या दिया कि उस पर सोशल मीडिया पर चुटकुलों की झड़ी लग गई।
कोका-कोला कंपंनी का मालिक एक शिकंजी बेचने वाला व्यक्ति था : राहुल
कोका कोला को लेकर राहुल गांधी ने कहा था, ‘कोका-कोला कंपनी का नाम आपने सुना होगा, यहां ऐसा कौन व्यक्ति है जिसने कोका-कोला कंपनी का नाम ना सुना हो। कोका-कोला कंपंनी को किसने शुरू किया, कौन था ये, कोई जानता है, मैं आपको बताता हूं, कोका-कोला शुरू करने वाला एक शिकंजी बेचने वाला व्यक्ति था। वो अमेरिका में शिकंजी बेचता था। पानी में चीनी मिलाता था। उसके एक्सपीरियंस का आदर हुआ। हुनर का आदर हुआ, पैसा मिला कोका-कोला कंपनी बनी।’
इसके बाद राहुल ने मैक्डोनाल्ड कंपनी को लेकर कहा, ‘मैक्डोनाल्ड कंपनी का नाम सुना होगा आपने, आप सबने सुना होगा। किसने चालू किया था इसे, क्या करता था, वो कोई मुझे बता सकता है। वो ढाबा चलाता था, आप मुझे हिन्दुस्तान में वो ढाबा वाला दिखा दो जिसने कोका-कोला कंपनी बनाई हो, कहां है वो ?’ आइए अब जानते हैं कि इन दोनों मशहूर कंपनियों की शुरुआत कैसे हुई थी ?
कोका-कोला कंपनी की ऐसे हुई थी शुरुआत
कोका-कोला दुनिया में सबसे ज्यादा पहचाने जाने वाले ब्रैंड में से एक है जिसे 200 से ज्यादा देशों में बेचा जाता है। कोका-कोला की शुरुआत 1886 में अमेरिका के अटलांटा में एक फार्मासिस्ट डॉ जॉन एस पेम्बरटन ने की थी। पेम्बरटन ने अमेरिकी सिविल वार के दौरान फौजी के तौर पर युद्ध में हिस्सा लिया था और उसमें बुरी तरह घायल हो गए। युद्ध खत्म होने के बाद पेम्बरटन ने दर्द से राहत के लिए मॉर्फिन (अफीम का सत्त्व) का सहारा लेना शुरू कर दिया, लेकिन एक फार्मासिस्ट होने की वजह से उन्हें मालूम था कि मार्फिन लंबे समय तक लेना खतरनाक हो सकता है और इससे नशे की लत लग सकती है।
यही वजह थी कि उन्होंने ऐसी ड्रिंक बनाने की सोची जिसमें अफीम नहीं हो बल्कि कोका का इस्तेमाल किया जाए। पेम्बरटन ने कोकिन, कोला नट और एक और पौधे को मिलाकर एक ड्रिंक बनाई जिसे पहले पेम्बरटन की फ्रेंच वाइन कोला का नाम दिया गया।
इस ड्रिंक को बेचने के लिए पेम्बरटन ने अटलांटा में अपने घर के पास की ही एक दुकान को चुना जिसका नाम जैकब्स फॉर्मेसी था। पेम्बरटन वहां अपने सिरप को जग में लेकर जाते जिसे सोडा से साथ मिलाकर बेचा जाता था। लोगों को ये ड्रिंक खूब पसंद आया। कोका-कोला नाम देने का श्रेय पेम्बरटन के एकांउटेंट को जाता है जिनका नाम फैंक्र रोबिन्सन था। उन्होंने ही खास तरह से कोला-कोला लिखने का डिजाइन बनाया जिसे आज तक उसी तरह से लिखा जाता है।
लेकिन दुनिया के इस सबसे मशहूर डिंक्र की खोज करने वाले पेम्बरटन इसका कुछ खास फायदा नहीं उठा सके। पेम्बरटन का निधन 1888 में हुआ। लेकिन इससे पहले ही उन्होंने अपनी कंपनी को धीरे-धीरे कर बेच डाला था। ऐसा कैंडलर नाम के एक बिजनेसमैन ने कोका-कोला की ताकत को पहचाना और इसकी सारी हिस्सेदारी खरीद ली। कैंडलर ने कोका-कोला को इस मुकाम तक पहुंचाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई।
आज कोका-कोला दुनिया में ‘ओके’ के बाद सबसे ज्यादा पहचाने जाने वाला शब्द है। कोका-कोला की खपत दुनिया में कितनी होती है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि अगर इसकी सारी बोतलों को एक लाइन में लगा दिया जाए तो ये लाइन चांद तक 1,677 बार जाकर लौट सकती है।