उपराज्यपाल के दफ्तर में पिछले 8 दिनों से धरने पर बैठे और 6 दिन से अनशन कर रहे दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया है. मनीष सिसोदिया की जांच के बाद डॉक्टरों ने कहा कि कभी भी स्थिति गंभीर हो सकती है. वे एलजी दफ्तर में सीएम केजरीवाल के साथ धरने और अनशन पर हैं.
इससे पहले दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को तबीयत बिगड़ने के बाद रविवार रात अस्पताल में भर्ती कराया गया. मनीष सिसोदिया के शरीर में कीटोन का स्तर खतरे के निशान से पार कर गया है.
#Delhi Deputy CM Manish Sisodia being taken to LNGP hospital after his ketone level reached 7.4. He has been on an indefinite hunger strike for the past 6 days at LG's residence against the alleged strike by the IAS officers of Delhi government. pic.twitter.com/XSJMxXOOJr
— ANI (@ANI) June 18, 2018
दिल्ली हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी-
टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि हम समझ नहीं पा रहे हैं कि ये धरना है या हड़ताल और क्या इसकी कोई अनुमति ली गई या खुद ही तय कर लिया गया.
कोर्ट ने पूछा कि अगर ये खुद व्यक्तिगत रूप से तय किया गया (केजरीवाल और मंत्रियों द्वारा) फैसला है तो ये एलजी के घर के बाहर होना चाहिए था. क्या एलजी के घर के अन्दर ये धरना करने के लिए इजाजत ली गई है? हाईकोर्ट ने कहा कि आप कैसे किसी के घर या दफ्तर में जाकर हड़ताल पर बैठ सकते हैं.
उन्होंने सीधा सवाल किया कि जैसे ट्रेड यूनियन अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठती है, क्या ये वैसी ही हड़ताल है. धरने पर बैठने का फ़ैसला कैबिनेट का है या ये व्यक्तिगत फ़ैसला है. कोर्ट की ओर से कहा गया है कि इसका जल्द से जल्द कोई समाधान ढूंढा जाना चाहिए.