नई दिल्ली: भारत के 13 VVIPs लोगों के अाई फोन में मैलवेयर के जरिए सेंध लगाए जाने की आशंका है. ऐसा माना जा रहा है कि उनके अाईफोन में से मेसेज, वॉट्सऐप, लोकेशन, चैट लॉग, तस्वीर और कॉन्टैक्ट्स जैसी जानकारियां भी चुराई गईं हैं.
हालांकि अबतक इन 13 लोगों की पहचान नहीं हो पाई है. कमर्सल थ्रेट इंटेलिजेंस ग्रुप सिसको टालोज के शोधकर्ताओं ने पाया है कि एक बेहद सधे हुए उच्चस्तरीय टारगेटेड हमला कर इन लोगों के अाईफोन को एक संदिग्ध ऐप्लिकेशन की मदद से निशाना बनाया गया है.
सिसको एक्सपर्ट्स की आशंका है कि आईफोन में सेंध लगाने वाला भारत में हो सकता है लेकिन उसने खुद को रूस का दिखाने की कोशिश की है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस पूरी गतिविधि में उसने रूसी नाम और रूस के ईमेल डोमेन का इस्तेमाल किया है. इसे अंजाम देने वालों के दो पर्सनल डिवाइसों में भारत के वोडाफोन नेटवर्क के फोन नंबर का इस्तेमाल हुआ है.
हमलावर द्वारा इस्तेमाल किए गए व्यक्तिगत डिवाइस में एक ही फोन नंबर साझा किया गया है जो भारत में वोडाफोन नेटवर्क में पंजीकृत है. टैलोस इंटेलिजेंस ब्लॉग पर दो विशेषज्ञों ने खुलासा किया कि साइबर हमलावर ने 13 डिवाइसों तक पहुंचने के लिए ओपन सोर्स मोबाइल डिवाइस मैंनेजमैंट सिस्टम (एमडीएम) को तैनात किया था. टैलोस सिक्योरिटी के टेक्नीकिल लीडर वॉरेन मर्सर और सिस्को में शोधकर्ता एंड्रयू विलियम्स और मैलवेयर विश्लेषक पॉल रस्कगनेरेस ने कहा कि हमलावर ने भारत में 13 डिवाइस में वैध ऐप्स के जरिये फीचर जोड़ने के लिए तकनीकी का उपयोग किया जिसमें व्हॉटसअप और टेलीग्राम जैसे मैसेजिंग ऐप्स शामिल थे जिन्हें एमडीएम द्वारा तैनात किया गया था.
साइबर सिक्यूरिटी आज पूरे संसार के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. हम बिना जाने समझे एप्प इस्तेमाल करने के लिए कॉन्टेक्ट्स से लेकर कैमरा तक सबके एक्सेस की अनुमति एप्प निर्माता कंपनी को दे देते हैं. हमारे निजी डेटा का ये कम्पनियां दुरुप्रयोग कर सकती हैं. ऐसे में सरकार को जल्द से जल्द साइबर सिक्यूरिटी की दिशा में कोई ठोस कदम उठाना चाहिए.














































