भारतीयों की खराब आदत से पूरी दुनिया वाकिफ है. यह हम नहीं कह रहे बल्कि हमारी आदतें घरेलू-विदेशी अखबारों के पन्ने, ऑनलाइन मीडिया में इधर-उधर डोलती खबरें कह रही हैं. दरअसल इसी साल की शुरूआत में खबर आई थी कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ आधिकारिक टूर पर गए कुछ पत्रकारों ने खाने की टेबल पर रखी कुछ चांदी की चम्मचें चुरा ली थीं. हर ओर खबर फैली और एक और बदनुमा दाग भारतीयों की छवि पर हमेशा के लिए चस्पा हो गया. फिलहाल इस बार खबर भारतीय रेल से आई है और खबर यह है कि पिछले एक साल में यात्रियों ने रेलवे को अपनी जागीर समझते हुए ट्रेन से करीब 2 लाख तौलिए और हजारों बेडशीट, तकिए और उसके कवर पर हाथ साफ कर दिया.
पश्चिम रेलवे ने इसे लेकर कुछ आंकड़े जारी किए हैं जोकि बेहद चौंकाने वाले हैं. इनके मुताबिक, पिछले वित्तीय वर्ष में ट्रेनों से 1.95 लाख तौलिए, 81736 बेडशीट्स, 55573 तकियों के कवर, 7043 कंबल और 5038 तकिए चुराए जा चुके हैं. आंकड़ों के अनुसार, हर साल ट्रेनों से करीब 1000 नल, 300 से ज्यादा फ्लश पाइप और करीब 200 टॉयलेट मग भी चुराए जाते हैं. इसी वजह से हर साल रेलवे को करोड़ों का घाटा उठाना पड़ता है. रेलवे ने कई बार इस तरह की चोरी को रोकने की काफी कोशिशें भी की हैं लेकिन यात्री हैं कि अपनी आदतों से बाज नहीं आते.
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रेन में रेलवे की ओर से दी जाने वाली एक चादर की कीमत 132 रुपये होती है. तकिए की कीमत 25 रुपये और तौलिए की कीमत 22 रुपये होती है. पिछले वर्ष में चुराए गए सामान की कुल कीमत रेलवे ने sixty two लाख रुपये आंकी है. गौरतलब है कि ट्रेन से चुराई गई बेडशीट, तकिए, कवर और दूसरी ऐसी चीजों का नुकसान कोच अटेंडेंट को भरना पड़ता है, वहीं बाथरूम से चुराए गए सामान की भरपाई रेलवे के जिम्मे आती है. इसी हफ्ते मुंबई के बांद्रा में रतलाम के रहने वाले एक युवक को 6 बेडशीट्स, 3 कंबलों और 3 तकिए चुराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उसके पास से चुराई गई रेलवे की संपत्ति भी जब्त कर ली गई थी.
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