दिव्यांग परिवार को 25 साल बाद मिला इंसाफ, सुप्रीम कोर्ट ने दिया एक करोड़ रुपये मुआवजे का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने 25 वर्ष पुराने एक सड़क दुर्घटना के मामले में अपना फैसला सुनते हुए दुर्घटना पीड़ित दिव्यांग परिवार को एक करोड़ रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है. इस सड़क दुर्घटना में इंजीनियर का पूरा परिवार तबाह हो गया था. दुर्घटना में पति-पत्नी व एक बच्चे आजीवन दिव्यांग हो गए थे जबकि एक बच्चे की मौत हो गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा तय की गई मुआवजे की राशि को अपर्याप्त बताते करीब तीन गुना बढ़ाने का आदेश दिया है.

 

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यह है मामला

साल 1993 में अजमेर में हुए एक सड़क दुर्घटना में 33 वर्षीय इंजीनियर शशिकांत बगरिचा 100 फीसदी दिव्यांग हो गया था. इस दुर्घटना शशिकांत बगरिचा का पूरा परिवार तबाह हो गया था. और दुर्घटना के बाद बगरिचा सामान्य जीवन जीने असमर्थ थे. मोटर वाहन दुर्घटना पंचाट ने पीड़ित परिवार को महज छह लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया था. लेकिन बाद में राजस्थान हाईकोर्ट ने मुआवजे की रकम बढ़ाकर 23 लाख रुपये कर दी थी. जिसके बाद पीड़ित परिवार ने मुआवजे की रकम बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

 

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न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की पीठ ने पूरे मामलें को देखने के बाद यह पाया की दुर्घटना के बाद पीड़ित शशिकांत पूरी तरह दिव्यांग हो चुका है और उसे नियमित रूप से चिकित्सा सेवा जरूरी है. ऐसे में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की पीठ ने कहा हाईकोर्ट द्वारा तय की गई मुआवजे की रकम अपर्याप्त और अनुचित है. पीठ ने पीड़ित परिवार पर होने वाले चिकित्सकीय खर्च, फिजियोथैरेपी, चिकित्सकीय अटेंडेंट के वेतन सहित अन्य खर्चों पर गौर करने के बाद यह फैसला लिया. पीठ ने सुप्रीम कोर्ट केहालिया आदेश का हवाला देते हुए कहा कि मुआवजे की रकम तय करते वक्त पीड़ित के भविष्य की संभावना पर विचार किया जाना चाहिए.

 

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लिहाजा पीठ ने मुआवजे की रकम 96 लाख कर दी। वहीं शशि के बेटा पुनीत(दुर्घटना के वक्त उम्र आठ वर्ष) इस दुर्घटना में 40 फीसदी दिव्यांग हो गया और उसके निजी अंगों को भी चोटें आई थी. पंचाट में पुनीत के लिए महज 1.02 लाख रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया था लेकिन हाईकोर्ट ने यह रकम बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट पुनीत के हर्जाने की रकम को बढ़ाकर 10.8 लाख रुपये कर दी है. वहीं पत्नी और मृतक बेटे को मिले मुआवजे के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने सही करार दिया.

 

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