26/11 मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा ने भारत प्रत्यर्पण से बचने के लिए एक नई रणनीति अपनाई है। गुरुवार को उसने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में एक अपील दायर कर आपातकालीन रोक (इमरजेंसी स्टे) की मांग की। राणा ने अपनी याचिका में यह दावा किया कि अगर उसे भारत प्रत्यर्पित किया गया, तो उसे वहां ‘यातना’ (टॉर्चर) का सामना करना पड़ेगा और वह जीवित नहीं रहेगा।
राणा का दावा
तहव्वुर राणा ने अपनी याचिका में यह कहा कि उसे भारत में धर्म, जाति और अपनी राष्ट्रीयता के कारण प्रताड़ित किया जाएगा। राणा ने कहा कि मैं पाकिस्तानी मुस्लिम हूं और पाकिस्तान से जड़ें होने की वजह से वह वहां अलग-अलग प्रकार के अत्याचारों का शिकार हो सकता है। उसने अपनी याचिका में यह भी दावा किया कि अगर उसे भारत प्रत्यर्पित किया गया, तो उसकी जान को खतरा होगा। राणा ने कहा कि उसे भारत में “टॉर्चर” और “यातना” का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उसकी ज़िन्दगी की सलामती नहीं होगी।
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अमेरिकी अदालतों में राणा की हार और अपील
तहव्वुर राणा पहले ही अमेरिकी अदालतों में अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ लड़ाई हार चुका है। 21 जनवरी 2025 को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अपील खारिज कर दी थी, जिसके बाद उसकी प्रत्यर्पण प्रक्रिया को गति मिल गई। इससे पहले एक निचली अदालत ने भी राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी। इसके अलावा, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने भी राणा के प्रत्यर्पण को हरी झंडी दी थी। फिर भी, राणा इस फैसले को चुनौती देने की कोशिश कर रहा है और अब उसने सुप्रीम कोर्ट से राहत की उम्मीद जताई है।
डेविड हेडली से तहव्वुर का संबंध
तहव्वुर राणा पर यह आरोप है कि उसने आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य डेविड हेडली की मदद की थी, जो भारतीय नागरिकों के खिलाफ आतंकवादी हमलों की साजिश में शामिल था। डेविड हेडली (जिनका असली नाम दाऊद गिलानी था) ने राणा से फर्जी दस्तावेज़ प्राप्त किए थे, जिनकी मदद से हेडली भारत आकर मुंबई हमले के लिए संभावित ठिकानों की रेकी कर सका। हेडली के पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा से रिश्ते थे, और उसने भारत में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए योजना बनाई थी।
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सुप्रीम कोर्ट में अपील का परिणाम
राणा ने अब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से यह अपील की है कि उसे भारत भेजे जाने से पहले उसकी सुरक्षा और जानमाल की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। हालांकि, अमेरिकी कोर्ट पहले ही उसे प्रत्यर्पित करने के पक्ष में फैसला दे चुका है, लेकिन राणा की कोशिश है कि उसे किसी भी प्रकार की यातना से बचाने के लिए कुछ कदम उठाए जाएं। भारतीय अदालतों में राणा के खिलाफ कई गंभीर आरोप हैं, और अगर उसका प्रत्यर्पण होता है तो उसे मुंबई हमले में अपनी भूमिका के लिए जवाब देना पड़ेगा।
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