कुछ समय पहले बॉलीवुड अभिनेता अभिषेक बच्चन और यामी गौतम की एक फिल्म आई थी, जिसका नाम था दसवीं. इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक पूर्व मुख्यमंत्री, जिसे पढ़ने लिखना भी नहीं आता था, उसने मेहनत के बल पर बोर्ड का एग्जाम न सिर्फ दिया बल्कि वो पास भी हुए. इस फिल्म की शूटिंग आगरा जिले की जेल में हुई थी. इसी की तर्ज पर ऐसे ही मामने अब हकीकत में देखने को मिल रहे हैं. दरअसल, हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि झांसी जिला जेल में शिक्षा की मशाल जल रही है. इसका नतीजा है कि, अभी वर्तमान में कुल 51 कैदी पढ़ाई कर रहे हैं. ये सभी अपने हाथों का इस्तेमाल अपराध करने की बजाए कलम उठाने के लिए कर रहे हैं. बड़ी बात तो ये है कि इनमे से कई कैदी अब तक डिग्री होल्डर भी हो गए हैं.
हत्या के मामलों में बंद हैं ये कैदी
जानकारी के मुताबिक, झांसी जेल में शिक्षा ग्रहण करने वाले अधिकतर कैदी हत्या के मामलों में आरोपी हैं. इनमे से 9 कैदियों ने पुलिस लाइन में स्थित बेसिक प्राइमरी पाठशाला से 5वीं कक्षा पास की है. इसके साथ ही 9 कैदियों ने तालपुरा हाईस्कूल से 8वीं कक्षा पास की है. वहीं, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय ओपन विश्वविद्यालय (IGNOU) से 10 कैदियों ने बीए और एमए की परीक्षा दी है. इनमें बीए फर्स्ट ईयर के 3, सेकेंड ईयर का 1, थर्ड ईयर के 5 तथा एमए द्वितीय वर्ष का 1 कैदी शामिल है. इग्नू (IGNOU) से ही 23 कैदी सर्टिफिकेट प्रोग्राम भी कर रहे हैं.
यह सभी कैदी मुख्यतः दो प्रकार के सर्टिफिकेट कोर्स कर रहे हैं. पहला सर्टिफिकेट इन ह्यूमन राइट्स और दूसरा सर्टिफिकेट इन फूड एंड न्यूट्रीशन. जेल अधीक्षक ने बताया कि इस प्रकार के कोर्स करने से रोजगार के अवसर खुलने के साथ ही कैदियों में जागरूकता भी आती है. वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होते हैं.
बेहद खुंखार थे ये कैदी
अगर इनमे के कई कैदियों की बात करें तो इनमें शामिल गैर इरादतन हत्या के मामले में आरोपी प्रेमचंद जब जेल में आया तो उसने बीए में एडमिशन लिया. उसके बाद 58.3 फीसदी अंक से एमए हिंदी से पास किया. जेल से रिहा होने के बाद वो एक सामान्य जीवन बिता रहे हैं.
इसी तरह हीरालाल शर्मा पर भी हत्या का आरोप है और कोर्ट में सुनवाई चल रही है. जेल आने के बाद हीरालाल ने 12वीं की परीक्षा दी और उसे पास किया. इसके बाद बीए की पढ़ाई भी उन्होंने जेल में ही रहकर की. फिलहाल वह एमए प्रथम वर्ष के छात्र हैं. वो भी अपनी पढ़ाई में पूरी ध्यान दे रहे हैं.
जेल अधीक्षक ने दी जानकारी
झांसी जेल के अधीक्षक रंग बहादुर पटेल ने बताया कि जेल का मूल काम सजा देना नहीं बल्कि लोगों को सुधारना है. उनके व्यक्तित्व में बदलाव करके उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने का काम किया जाता है. इसके लिए सबसे प्रभावी तरीका शिक्षा है. वर्तमान में 51 कैदी यहां से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. अन्य कैदियों को भी शिक्षा ग्रहण करने के लिए लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है.