इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नोएडा स्पोर्ट्स सिटी (Noida Sports City) परियोजना में कथित घोटाले की जांच सीबीआई (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) से करवाने का आदेश दिया है। इस मामले में सीबीआई ने तीन एफआईआरदर्ज की हैं। इन एफआईआर में आरोप है कि कुछ बिल्डर्स और नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने मिलकर घर खरीदारों के पैसे हड़पने की साजिश रची थी।
सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर
- सीबीआई ने पहली एफआईआर लॉजिक्स इंफ्रा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ दर्ज की है, जिसमें कंपनी के निदेशक शक्ति नाथ, मीना नाथ और विक्रम नाथ को आरोपी बनाया गया है। इसके अलावा, नोएडा प्राधिकरण के अज्ञात अधिकारियों और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है।
- दूसरी एफआईआर लोटस ग्रीन कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड पर की गई है, जिसमें कंपनी के निदेशक निर्मल सिंह, विदुर भरद्वाज, और सुरप्रीत सिंह सूरी के नाम शामिल हैं। यह प्रोजेक्ट सेक्टर-150 के एससी 01 और उससे जुड़ी 12 अन्य कंपनियों से संबंधित है। इन सबलीज कंपनियों के नाम भी एफआईआर में शामिल किए गए हैं।
- तीसरी एफआईआर जनायडू एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ दर्ज की गई है। इस मामले में भी आरोप है कि इन कंपनियों ने मिलकर नोएडा प्राधिकरण से मिली जमीन का गलत तरीके से इस्तेमाल किया और घर खरीदारों से पैसे हड़पने का काम किया।
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9000 करोड़ का घोटाला
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में नोएडा स्पोर्ट्स सिटी परियोजना में बड़ी वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इस घोटाले से नोएडा प्राधिकरण और राज्य सरकार को लगभग 9000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। सीएजी ने बताया कि डेवलपर्स को जमीन बेहद कम कीमत पर दी गई और नोएडा प्राधिकरण को साइडलाइन करके स्वामित्व का अनधिकृत हस्तांतरण किया गया।इसके अलावा, लीज प्रीमियम, जुर्माना और ट्रांसफर शुल्क का भुगतान नहीं किया गया। खेल सुविधाओं का निर्माण पूरा नहीं होने के बावजूद, अधिभोग प्रमाण पत्र जारी किए गए थे।
स्पोर्ट्स सिटी परियोजना
नोएडा प्राधिकरण ने 16 अगस्त 2004 को स्पोर्ट्स सिटी परियोजना के विकास का प्रस्ताव रखा था, जिसका मुख्य उद्देश्य नोएडा क्षेत्र में विश्व स्तरीय खेल सुविधाएं स्थापित करना था। इसके बाद, 25 जून 2007 को परियोजना के लिए 311.60 हेक्टेयर भूमि की पहचान की गई थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 346 हेक्टेयर कर दिया गया।यह परियोजना राष्ट्रमंडल खेलों 2010 के मद्देनजर शुरू की गई थी। परियोजना के लिए ग्रांट थॉर्नटन को योजना तैयार करने और भूमि आवंटन के दिशा-निर्देश स्थापित करने का कार्य सौंपा गया था। हालांकि, 2010 में महत्वपूर्ण बदलाव हुए, और स्पोर्ट्स सिटी के लिए कुल भूमि क्षेत्र को घटाकर 150 हेक्टेयर कर दिया गया।2010-11 और 2015-16 के बीच 798 एकड़ भूमि में चार स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाओं का निर्माण शुरू किया गया था।
सीबीआई और ईडी की जांच
सीबीआई और ईडी की जांच के बाद इस घोटाले से जुड़ी और भी महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आ सकती हैं। जांच में यह भी पता चलेगा कि कितने और अधिकारी और कंपनियां इस घोटाले में शामिल थीं, और कैसे उन्होंने आम जनता की मेहनत की कमाई का दुरुपयोग किया।