कानपुर के बिकरू कांड में हुए एनकाउंटर मामले में लगातार जांच चल रही है। हाल ही में हुए एक खुलासे में ये बात सामने आई है कि विकास दुबे, उसके पिता, भाई, बहू, जय बाजपेई समेत 15 करीबियों ने फर्जी दस्तावेज के सहारे शस्त्र लाइसेंस हासिल कर लिए थे। जिसके बाद जिले के डीएम ने शस्त्र लाइसेंस देने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
ये है मामला
जानकारी के मुताबिक, शासन ने बिकरू कांड में जांच के लिए एसआइटी गठित की थी। जांच के दौरान पता चला कि विकास, उसके परिवार के सदस्यों व सहयोगियों ने असलहा लाइसेंस बनवाने के लिए शपथपत्र में अपराध व अन्य जानकारियों को छिपाकर पुलिस और प्रशासन की आंख में धूल झोंकने में कामयाब हुए। पता चला कि विकास दुबे को 2008 में असलहा लाइसेंस गलत तथ्यों के आधार पर जारी हुआ था।
इसके साथ ही रामकुमार कुमार दुबे, विकास के भाई की पत्नी अंजली दुबे, खजांची के रूप में चर्चित और जेल में बंद जयकांत बाजपेयी, विष्णुपाल उर्फ जिलेदार, अमित उर्फ छोटे बउवा, दीपक, विकास के सहयोगी दिनेश कुमार ने भी ऐसा ही कर लाइसेंस बनवाए थे। पुलिस भी सभी पर दर्ज मामलों को पता नहीं कर सकी और लाइसेंस के लिए संस्तुति कर दी।
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इसी तरह रवींद्र, अखिलेश, अरविंद, आशुतोष व अरविंद उर्फ गुड्डन की पत्नी कंचन के शपथ पत्र को भी गलत तथ्यों पर आधारित पाया गया। अब इसकी जांच सीबीसीआइडी को दी जाएगी। इन मामलों में संबंधित थानों में मुकदमे भी दर्ज कराए जाएंगे।
इन पर होगी कार्रवाई
एडीएम सिटी अतुल कुमार ने बताया कि एसआइटी से पत्र आया था। उसे परीक्षण के लिए सिटी मजिस्ट्रेट को दिया गया है। एसआईटी की जांच में 2005 में कलक्ट्रेट में तैनात रहे सभी शस्त्र लिपिक जांच के घेरे में हैं। इनमें से तत्कालीन प्रमुख दोनों शस्त्र लिपिक सेवानिवृत्त हो चुके हैं। एक तत्कालीन सहायक शस्त्र लिपिक शैलेश त्रिवेदी वर्तमान में डीएम कोर्ट में पेशकार हैं। बाकी पर रिपोर्ट सीबीसीआईडी की जांच पूरी होने के बाद दर्ज की जाएगी।
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