उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजे आ चुके हैं, जिसमें बीजेपी ने प्रचंड बहुमत के साथ जीत हासिल की है. बीजेपी एक बार फिर यूपी में सरकार बनाने जा रही है. 2022 के विधानसभा चुनाव के परिणामों की बात करें तो यूपी की 403 सीटों में से बीजेपी को 255 सीटों पर जीत मिली, जबकि उसकी सहयोगी अपना दल (एस) ने 12 और निषाद पार्टी ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की. वहीं इस लहर में भी भाजपा के कई कद्दावर मंत्री अपनी सीट नहीं बचा पाए.
पूर्वांचल की बात करें तो पार्टी के बड़े ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी सिद्धार्थनगर जिले की इटवा सीट पर सपा के माता प्रसाद पांडेय से 1,662 मतों से चुनाव हार गए. इसी तरह राज्य मंत्री आनन्द स्वरूप शुक्ला को बलिया जिले की बैरिया सीट पर समाजवादी पार्टी के जयप्रकाश अंचल ने 12,951 मतों से पराजित किया. बलिया जिले की ही फेफना सीट पर खेल मंत्री उपेंद्र तिवारी को सपा उम्मीदवार संग्राम सिंह ने 19,354 मतों से हरा दिया. पूर्वांचल में ब्राह्मण कोटे से मंत्री बने इन नेताओं की हार के बीच भाजपा को शलभ मणि त्रिपाठी (Shalabh Mani Tripathi) के रूप में एक बड़ा ब्राह्मण चेहरा मिला है.
पत्रकार रह चुके बतौर सीएम सूचना सलाहकार काम देखने वाले शलभ मणि त्रिपाठी ने देवरिया सदर से भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाई है. उन्होंने सपा प्रत्याशी अजय प्रताप सिंह पिंटू को 40,655 मतों से हराया है. इसे अब तक की रिकॉर्ड जीत बताई जा रही है. इस चुनाव में शलभ मणि त्रिपाठी को कुल 1,06,701 वोट मिले हैं, जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड हैं क्योंकि देवरिया के इतिहास में शलभ मणि त्रिपाठी पहले प्रत्याशी हैं जिन्हें 1 लाख से अधिक वोट मिले हों इससे पहले कोई भी उम्मीदवार इस जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच पाया है.
देवरिया सदर के सियासी सफर पर नजर डालें तो 2017 में इस सीट पर पीएम मोदी की प्रचंड लहर के बावजूद भाजपा के जन्मेजय सिंह को कुल 88,030 वोट मिले थे तो वहीं 2020 उपचुनाव में बीजेपी के ही टिकट पर डॉ सत्य प्रकाश त्रिपाठी के वोट का आंकड़ा नीचे गिरकर 68,732 तक पहुंच गया था. 2022 में भाजपा के पक्ष में बंपर वोटिंग के पीछे शलभ मणि का देवरिया की जनता से कनेक्ट होना, क्षेत्रीय लोगों के सुख-दुख में हमेशा साथ खड़े होना तथा उनके मिलनसार व्यवहार को माना जा रहा है. हालांकि शलभ की इस ऐतिहासिक जीत में पीएम मोदी और सीएम योगी की कल्याणकारी योजनाओं के असर को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
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