एक तरफ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) का समर्थन कर रहे हैं। वहीं, प्रसपा चीफ शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) उनका खुलकर विरोध कर रहे हैं। सोमवार को अखिलेश यादव ने सपा और रालोद विधायकों के साथ यशवंत सिन्हां के पक्ष में मतदान किया तो शिवपाल सिंह यादव ने कह दिया नेताजी को आईएसआई का एजेंट कहने वाले का हम समर्थन नहीं करते।
शिवपाल यादव ने अखिलेश के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि नेताजी को आईएसआई एजेंट करने वाले का हम कभी समर्थन नहीं कर सकते। सपा के कट्टर नेता, नेताजी के सिद्धांतों का पालन करने वाले ऐसे आरोप लगाने वाले उम्मीदवार का कभी समर्थन नहीं करेंगे। प्रसपा चीफ के इस बयान के बाद यूपी की सियासत में भूचाल आ गया है।
दरअसल, मतदान करने से पूर्व अखिलेश यादव ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को वोट डालने की बात कही थी। वहीं, मतदान करने के बाद सपा चीफ ने भाजपा पर जमकर हमला बोला। अखिलेश यादव ने कहा कि राजद उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने के बारे में चाचा शिवपाल सिंह यादव की चिट्ठी भाजपा की साजिश का हिस्सा है। यह इससे साबित होता है कि पहले दोनों उप मुख्यमंत्रियों ने ट्वीट किया और उसके बाद चाचा का पत्र सामने आया।
अखिलेश यादव ने कहा कि यह दिल्ली से चिट्ठी पालिटिक्स की गई है। चाचा से चिट्ठी लिखवाई गई है। शिवपाल सिंह यादव और सपा के गठबंधन सहयोगी सुभासपा द्वारा राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने के सवाल पर अखिलेश ने कहा कि जाने वालों को कोई रोक नहीं सकता। सपा प्रमुख ने कहा कि बीजेपी धर्म के आधार पर नफरत फैलाती है, इसका उदाहरण कानपुर दंगा है। पुलिस प्रशासन अगर समय में निर्णय लेती और इनकी इंटेलिजेंस फेल नहीं होती तो इतना बड़ा दंगा न कानपुर, न प्रयागराज और न कहीं प्रदेश में होता है।
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अखिलेश ने ये भी कहा कि पुलिस जानबूझकर इसलिए कर रही है क्योंकि नामजद करने में पैसा वसूलने का काम हो रहा है। कन्नौज और फैजाबाद में धार्मिक स्थलों पर मांस फेंके जाने की घटना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इन घटनाओं के पीछे भाजपा के प्रशिक्षित लोग हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले प्रदेश में सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की ऐसी तमाम कोशिशें भाजपा की ओर से की जाएंगी। अखिलेश ने कहा कि समाजवादियों समाजवादियों के प्रति भाजपा की भाषा खराब रही है। सपा सेक्युलर पालिटिक्स करती है और भाजपा सेक्युलर पालिटिक्स का विरोध करती है।
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