जम्मू-कश्मीर के पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए राजस्थान के 5 जवानों में से कोटा के रहने वाले हेमराज का अंतिम संस्कार गांव विनोद कलां में किया गया और उनके बड़े बेटे अजय ने उन्हे मुखाग्नि दी. अंत्येष्टि के दौरान मौजूद हजारों लोग बड़ी ही मुश्किल से अपनी भावनाओं पर काबू कर रहे थे. शव यात्रा गांव पहुंचने पर शहीद के पिता, पत्नी, बेटे-बेटियों व परिजनों ने पार्थिव शरीर को नमन किया. अंत्येष्टि स्थल पर शहीद हेमराज का 5 साल का छोटा बेटा ऋषभ पहले तो रोया फिर भारत माता के जयकारे लगाने लगा, ऋषभ को ऐसा करते देख पूरे मैदान में मौजूद हजारों लोग रो उठे. शहीद हेमराज के बेटे, बेटियां, धर्मपत्नी व पिता उनकी शहादत को लेकर फख्र से बोल उठे- ‘तुम्हारी शहादत को झुकने नहीं देंगे’.
बेटे की आंखों में दिखा पिता का अक्स, शहीद हेमराज को गार्ड ऑफ ऑनर
पुलवामा में शहीद हुए सीआरपीएफ की 61वीं बटालियन के हैड कांस्टेबल हेमराज को सीआरपीएफ व कोटा ग्रामीण पुलिस की टुकड़ियों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया. शोक शस्त्र हाथ में थामे सीआरपीएफ के जवानों ने 25 राउंड फायर किए. तिरंगे में लिपटे शहीद हेमराज मीणा को श्रद्धांजलि देने सैलाब उमड़ा था. हेमराज मीणा अमर रहे के गगनभेदी नारों केे बीच शनिवार दोपहर बाद कोटा जिले के गांव सांगोद क्षेत्र के पैतृक निवास विनोद कलां में हेमराज की अंत्येष्टि हुई. पहले तो पापा को याद कर 5 साल का ऋषभ रोने लगा. उसके बाद ऋषभ अपने आंसू पोंछकर अचानक बिल्कुल एक सैनिक की तरह तनकर खड़ा हो गया. बहादुर बेटे की आंखों में पिता का अक्स साफ झलक रहा था. भारत माता की जयकार सुनकर शहीद का बेटा भीड़ के साथ नारे लगाने लगा.
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मुझे बंदूक दो, छोड़ूंगा नहीं आतंकियों को
बड़े बेटे अजय ने कहा कि उसे अपने पिता की शहादत पर गर्व है. वहीं 4 साल के बेटे रिशु को अभी दुनियादारी की समझ नहीं है, लेकिन अचानक घर पर इतने लोगों के आने और पिता के शहीद होने की बात पता चलने पर उसने अपनी भावना कुछ इस तरह से व्यक्त करते हुए बोला- ‘मैं पुलिस में जाऊंगा, आतंकवादियों को बंदूक से मारूंगा’. अंतिम संस्कार में आए गांव के हर आदमी की आंख इस वाकये से भर आई. भारत माता की जयकार के साथ भीड़ से पाकिस्तान विरोधी नारे लगे तो बहादुर बेटा शेर की तरह दहाड़ते हुए बोला- ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’. शहीद हेमराज के पिता, पत्नी, बेटे-बेटियों व परिजनों ने उन्हें नमन किया. वीरांगना मधुबाला अपने पति के ताबूत में होने से अंतिम दर्शन अच्छी तरह से नहीं कर पाई और दाह संस्कार की पूरी रस्में उल्टे 7 फेरे लेकर किए. मांग में सिंदूर भरकर अपने पति को अंतिम विदाई दी. बड़े बेटे अजय और छोटे बेटे ऋषभ ने मुखाग्नि दी.
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