यूपी: CM योगी की सख्ती के बाद निलंबित IPS मणिलाल पाटीदार ने कोर्ट में किया सरेंडर, लंबे समय से थे फरार

यूपी पुलिस के जवान जिस आईपीएस की तलाश बीते दो सालों से कर रहे थे लेकिन फिर भी उनके हाथ नाकामी लग रही थी, शनिवार को उसी आईपीएस ने खुद कोर्ट पहुंच कर सरेंडर कर दिया। बीते दो साल से यूपी पुलिस को आईपीएस मणिलाल पाटीदार की तलाश थी। पाटीदार पर एक लाख रुपए का इनाम भी घोषित था। सरेंडर के बाद उन्हें 14 दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजा दिया गया है।

शनिवार को किया सरेंडर

जानकारी के मुताबिक, महोबा के पूर्व एसपी महोबा मणिलाल पाटीदार ने शनिवार को लखनऊ के अपर जिला सत्र न्यायाधीश/भष्टाचार निवारण अधिनियम न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया। जिसके बाद उन्हें तत्काल ही न्यायिक अभिरक्षा में ले किया गया। लगभग दो सालों से फरार चल रहे मणिलाल पाटीदार की बर्खास्तगी के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र को सिफारिश की थी। निलंबित चल रहे पूर्व एसपी पाटीदार के अधिवक्ता ऐश्वर्य प्रताप सिंह और रणधीर सिंह ने न्यायालय में तर्क दिया कि पाटीदार को झूठे मामले में फंसाया गया है।

इस मामले से कार्रवाई में घिरे

गौरतलब है कि मामला कबरई कस्बे के जवाहरनगर निवासी क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी ने सात सितंबर को वीडियो वायरल कर तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार पर घूस मांगने व किसी भी समय हत्या कराने का आरोप लगाया था। सोशल मीडिया में वायरल वीडियो में निलंबित एसओ देवेंद्र शुक्ला द्वारा एसपी को पैसे भेेजने का दबाव बनाने और झूठे मुकदमे में फंसाने का भी आरोप लगाया था।

आठ सितंबर को क्रशर कारोबारी को गोली लग गई और 13 सितंबर को उनकी कानपुर के रिजेंसी अस्पताल में मौत हो गई थी। इस मामले में केस दर्ज होने के बाद से महोबा का पूर्व एसपी मणिलाल पाटीदार फरार हैं फरार आईपीएस मणिलाल पाटीदार के नेपाल में छिपे होने का दावा भी किया गया था। आईपीएस मणिलाल पाटीदार के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर भी जारी हो चुका है।

महोबा पुलिस ने सबसे पहले पाटीदार के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करवाया था। इसके बावजूद पाटीदार ने न ही आत्मसमर्पण किया और न ही पुलिस उसकी गिरफ्तारी कर सकी। मामले में हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद फरार पाटीदार पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया। कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस फरार आईपीएस के घर की कुर्की भी करा चुकी है। कुछ समय पहले योगी सरकार ने आईपीएस को सस्पेंड भी कर दिया था। जिसके बाद अब जाकर उन्होंने सरेंडर किया।

विजिलेंस की जांच में भी पाए गए दोषी

इसके साथ ही अब विजिलेंस जांच में सामने आया कि आईपीएस की तैनाती के दौरान महोबा में थानेदारों की पोस्टिंग में जमकर लेन-देन हुआ। महीने की वसूली को लेकर मणिलाल पाटीदार ने थानेदारों को कई बार हटाया और तैनात किया। थाना प्रभारियों की तैनाती को लेकर डीजीपी मुख्यालय के निर्देशों तक का भी पालन नहीं किया गया। वहीं, पैसा देकर थानेदारों की पोस्टिंग होने के बाद जिले में मातहत पुलिसकर्मियों ने जमकर वसूली की और लोगों को प्रताड़ित किया। इस मामले में भी आईपीएस के खिलाफ कार्रवाई चल रही है।

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