Bishan Singh Bedi: पूर्व भारतीय स्पिनर बिशन सिंह बेदी का निधन, क्रिकेट जगत में शोक की लहर

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी (Bishan Singh Bedi) का सोमवार को 77 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने 1966 और 1979 के बीच भारत के लिए 67 टेस्ट खेले और 266 विकेट लिए। बिशन सिंह बेदी ने 10 एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में सात विकेट भी लिए। बेदी को भारतीय टेस्ट इतिहास के बेहतरीन स्पिनरों में माना जाता है। उन्होंने अपने दम पर देश को कई मैच जिताए थे।

बेदी भारत की प्रसिद्ध स्पिनर चौकड़ी जिसमें इरापल्ली प्रसन्ना, बीएस चंद्रशेखर और एस वेंकटराघवन भी शामिल थे, उनका हिस्सा थे। चारों ने मिलकर 231 टेस्ट खेले और 853 विकेट हासिल किए। बेदी ने 1969–70 में कोलकाता टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक पारी में 98 रन देकर सात विकेट लिए थे। यह एक पारी में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। वहीं, मैच की बात करें तो 1977–78 में पर्थ के मैदान पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 194 रन देकर कुल 10 विकेट झटके थे।

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उन्होंने टेस्ट में इकलौता अर्धशतक 1976 में कानपुर टेस्ट में न्यूजीलैंड के खिलाफ लगाया था। 25 सितंबर, 1946 को भारत के अमृतसर में पैदा हुए बिशन सिंह बेदी एक बेहद कुशल बाएं हाथ के ऑर्थोडॉक्स स्पिनर थे, जो अपनी शानदार गेंदबाजी शैली के लिए जाने जाते थे। बेदी बल्लेबाजों को चकमा देने के लिए सूक्ष्म विविधताओं का उपयोग करके उड़ान और स्पिन में महारत हासिल करने के लिए प्रसिद्ध थे।

उनका नेतृत्व भारत की इंग्लैंड के खिलाफ 1971 की ऐतिहासिक श्रृंखला जीत में महत्वपूर्ण था जब उन्होंने घायल अजीत वाडेकर की अनुपस्थिति में टीम की कप्तानी की, जिससे एक प्रतिस्पर्धी क्रिकेट राष्ट्र के रूप में भारत की प्रतिष्ठा मजबूत हुई। अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के अलावा, बेदी का घरेलू क्रिकेट करियर, खासकर दिल्ली टीम के साथ, एक विशिष्ट करियर था।

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उन्होंने कई स्पिन गेंदबाजों के सलाहकार के रूप में काम किया और भारत में युवा क्रिकेट प्रतिभाओं को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बेदी का प्रभाव क्षेत्र से आगे बढ़ गया, क्योंकि वह एक सम्मानित टिप्पणीकार और निष्पक्ष खेल और खेल कौशल के समर्थक बन गए। खेल से संन्यास लेने के बाद भी, बेदी क्रिकेट जगत में एक मुखर आवाज़ बने रहे और क्रिकेट से जुड़े विभिन्न मामलों पर अपनी राय व्यक्त करते रहे।

वह भारतीय क्रिकेट में एक सम्मानित व्यक्ति बने हुए हैं, जो उनकी कलात्मकता और खेल के प्रति अटूट समर्पण के लिए मनाया जाता है। उनके निधन से क्रिकेट जगत में शोक की लहर है।

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